हिंदू धर्म में मासिक कालाष्टमी का बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है. यह पर्व भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर होता है. धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ दिन काल भैरव की पूजा-पाठ करने से जीवन में चल रही परेशानियों से निजात मिलती है. इस दिन को कालाष्टमी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस तिथि के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे. यह शुभ तिथि भगवान भैरव से असीम शक्ति प्राप्त करने की तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व माना गया है.
इस कालाष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस कालाष्टमी पर मंगलकारी धृति योग, रवि योग और शिव वास योग का निर्माण हो रहा है. धृति योग का निर्माण रात में 10 बजकर 44 मिनट तो वहीं रवि योग का निर्माण दोपहर 1 बजे तक है. इन शुभ योगों में भगवान शिव की पूजा करने से साधकों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कालाष्टमी पर शिव वास योग भी बन रहा है. इस योग में पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है. शिव वास योग का निर्माण रात 9 बजकर 19 मिनट से हो रहा है.
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 27 जुलाई दिन शनिवार को रात 9 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और 28 जुलाई दिन रविवार को रात 7 बजकर 27 पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, कालाष्टमी का पर्व 28 जुलाई दिन रविवार को मनाया जाएगा.
मासिक कालाष्टमी व्रत के दिन करें ये काम
मासिक कालाष्टमी व्रत के दिन मांसाहार, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. कालाष्टमी के दिन काल भैरव यानी भगवान शिव को बेलपत्र जरूर अर्पित करें. इस दिन भगवान काल भैरव को 11 नींबू से बनी हुई माला अर्पित करें और माला से 11 बार मंत्र ॐ ह्रीं काल भैरवाय नमः का जाप करें. मासिक कालाष्टमी के दिन किसी भी प्रकार की हिंसा या लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए. सभी के साथ प्रेमपूर्वक रहें, किसी को भी कष्ट न पहुंचाएं. इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है.