किसी व्यक्ति को संत की उपाधी कब दी जाती है. जब वह दीन दुनिया की मोह माया को त्याग कर इस दुनिया के परे के ज्ञान को हासिल कर लेते हैं. इसके साथ ही संत बनने की एक और कसौटी होती है और वह है चरित्र और शब्दों की मर्यादा. आप किसी को क्या कह रहे हैं ये बात तब और ज्यादा मायने रखती है जब आप एक उपाधी पर होते हैं, इसलिए किसी उपाधी पर बैठने के बाद इस बात का और भी ज्यादा ध्यान रखना चाहिए ताकी आपके मुंह से कुछ ऐसा ना निकल जाए कि बाद में आपको पछताना पड़े.
यूपी के मथुरा में कुछ दिनों से व्यास पीठ पर बैठकर कथा करने वाले संत या कथा वाचक ऐसे बयान दे रहे हैं जो विवाद का कारण बन रहे हैं. पहले कथा वाचक प्रदीप मिश्रा के राधारानी को लेकर दिए गए बयान पर भारी विवाद हुआ था जिसके बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी और अब वृंदावन के परिक्रमा मार्ग के श्री राधा किशोरी धाम में रहने वाले संत महामंडलेश्वर इंद्रदेव महाराज ने भी एक ऐसा ही बयान रामलीला में माता सीता और भगवान राम का किरदार निभाने वाले लोगों को लेकर दिया है जिसके बाद उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है.
क्या था इंद्रदेव महाराज का बयान?
इंद्रदेव महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें उनके द्वारा कहा गया है की रामलीला करने वाले जो पात्र हैं वह मंच के पीछे सिगरेट शराब आदि का सेवन करते है. उन्होंने कहा कि ये हम सबने देखा है. अपने बयान में उन्होंने आगे कहा कि माता सीता के पात्र के ब्लाउस से संतरे निकलते हैं. माता सीता का किरदार निभाने वाले कलाकारों को लेकर दिए गए इस बयान के बाद से लोगों में काफी गुस्सा है. इसके बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने लगा और संत समाज और बृजवासी लोगों में काफी ज्यादा आक्रोश देखने को मिला.
विरोध के बाद मांगी माफी
इस वीडियो के वायरल होने के बाद शुक्रवार को सुबह इंद्रदेव महाराज का जवाब सामने आया जिसमें उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगी. इंद्रदेव महाराज ने बताया कि उन्होंने ये बयान जरूर दिया लेकिन उनकी जो भावना थी वह सबसे अलग थी. महाराज ने कहा कि मेरा कहने का अर्थ किसी भी भगवान या किसी भी व्यक्ति की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं था. जो मैंने देखा था वह अपने बचपन में देखा था और वही मैं व्यास पीठ से लोगों को बता रहा था. यदि लोगों को मेरी बात से कठिनाई हुई है या बात बुरी लगी है तो मैं उनसे क्षमा चाहता हूं.