भारतीय शेयर बाजार के लिए सोमवार का दिन ब्लैक मंडे साबित हो रहा है. बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ़्टी लगातार धराशाई होते जा रहे हैं. बाजार की इस गिरावट में निवेशकों के 17 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए डूब गए हैं. बाजार जानकारों के मुताबिक, अमेरिका में मंदी की आशंका और मिडल ईस्ट में बढ़ते तनाव से निवेशकों में खलबली है. इससे दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली है. तो आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं कि अमेरिका भारतीय शेयर बाजार के लिए कैसे विलेन बना और अगर अमेरिका में मंदी आती है तो इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के ऊपर आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है. तमाम एनालिस्ट के द्वारा मंदी के कयासों के बीच अब गोल्डमैन सैश ने भी आशंका बढ़ा दी है. गोल्डमैन सैश ने अगले साल में अमेरिका में मंदी आने के अपने अनुमान में बदलाव किया है और उसे बढ़ा दिया है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डमैन सैश ग्रुप इंक के अर्थशास्त्रियों ने अगले साल अमेरिका में मंदी आने के अनुमान को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है. हालांकि राहत की बात है कि अर्थव्यवस्था के ऊपर मंदी के जोखिम के बाद भी अचानक बड़े नुकसान का जोखिम नहीं है. गोल्डमैन सैश के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मंदी के बढ़े जोखिम के बाद भी ऐसे कई कारण हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि बेरोजगारी बढ़ने के बाद भी अचानक अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट नहीं आने वाली है.
इतनी बढ़ गई बेरोजगारी
अमेरिका में पिछले सप्ताह अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ चिंताजनक आंकड़े सामने आए थे. अमेरिका में बेरोजगारी दर 4.3 फीसदी पर पहुंच गई है. यह अक्टूबर 2021 के बाद अमेरिका में बेरोजगारी का सबसे बड़ा आंकड़ा है. बेरोजगारी की दर में यह बढ़ोतरी बाजार के अनुमान से ज्यादा है और इसने एक बार फिर से मंदी के डर को तेज कर दिया है. एनालिस्ट मान रहे हैं कि बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ना आने वाली मंदी का संकेत है. इन आकंड़ों में लोगों को उम्मीद के मुताबिक जॉब न मिलने से बेरोजगारी दर 3 साल के हाई पर पहुंच गया. इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका में मंदी की आशंका ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया.
अमेरिकी शेयर बाजार पर असर
मंदी के खतरे का असर शेयर बाजार पर भी दिख रहा है. डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का फ्यूचर आज सुबह 7 बजे 375 अंक से ज्यादा (लगभग 1 फीसदी) के नुकसान में था. इससे पहले शुक्रवार को डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 610.71 अंक यानी 1.51 फीसदी की गिरावट आई थी. वहीं एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.84 फीसदी और टेक स्टॉक फोकस्ड इंडेक्स नास्डैक कंपोजिट 2.43 फीसदी के नुकसान में रहा था.
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में मंदी की आशंका है तो इसका भारत पर भी देखने को मिल सकता है. क्योंकि साल 2008 में अमेरिका में आई मंदी से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था हिल गई थी. वहीं, अगर ये आशंका सही होती है तो अमेरिका में मंदी आने से इंपोर्ट एक्सपोर्ट से लेकर जॉब्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है. अमेरिकी कंपनियां जो भारत में हैं वहां एक बार फिर छंटनी हो सकती है. वहीं, इसका असर डॉलर इंडेक्स पर भी देखने को मिल सकता है. इससे पहले जब साल 2008 में अमेरिका में मंदी आई थी तो सबसे बुरा असर शेयर बाजार और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट पर पड़ा था.
वहीं भारत में बहुत ही कम लोग शेयर बाजार से जुड़े थे. वहीं दूसरी ओर इंपोर्ट की चीजों की वजह से नुकसान हुआ, लेकिन एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिला. भारत पर मंदी का असर ज्यादा ना होने की एक बड़ी वजह ये भी है कि यहां घरेलू बाजार ही काफी बड़ा है. लेकिन इस बार अगर मंदी आती है तो बाजार पर नेगटिव इंपैक्ट देखने को मिल सकता है.