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काशनमनी के लिए छात्र नहीं लगाएंगे जेयू के चक्कर

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ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं में शिक्षा पा रहे हजारों छात्रों को अब काशन मनी के लिए संस्थान के चक्कर नहीं काटने होंगे। जेयू एक ऐसा साफ्टवेयर तैयार करवा रहा है जिसमें छात्र की पूरी जानकारी पहले ही भरवा ली जाएगी और जैसे ही डिग्री पूरी होगी, स्वत: ही प्रोसेस शुरू होकर छात्र के खाते में उसकी काशन मनी की पूरी राशि भेज दी जाएगी। विश्वविद्यालय प्रबंधन के स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं। शीघ्र ही साफ्टवेयर डेवलप करवाकर छात्रों के लिए सुविधा शुरू कर दी जाएगी।

बता दें कि वर्तमान में छात्रों को काशन मनी के लिए आफलाइन आवेदन करना होता है, जिसमें भागदौड़ भी छात्र की ही होती है। उसके बाद भी छात्र को कई महीनों तक अपनी काशन मनी का इंतजार करना पड़ता है। जेयू द्वारा कुछ इस प्रकार की व्यवस्था बनाई जा रही है कि अंतिम वर्ष या सेमेस्टर के छात्रों को परीक्षा फार्म भरने के साथ ही एक फार्म काशन मनी की जानकारी का भी भरना होगा। जिसमें बैंक खाता नंबर, आइएफएससी कोड सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देना होगी।

जैसे ही परीक्षा परिणाम जारी होगा वैसे ही छात्र की काशन मनी देने की प्रक्रिया भी प्रोसेस में आ जाएगी। नोड्यूज भी करवाएगा जेयू: किसी भी छात्र की काशन मनी तब ही जारी हो पाती है, जब तीन स्थानों से उसके आवेदन पर नोड्यूज का ठप्पा लग जाता है। अब तक यह काम छात्र ही करवा कर देता था, लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया को भी जेयू अपने स्तर पर करवाएगा, छात्रों को किसी भी दस्तावेज के सत्यापन के लिए दौड़ना नहीं पड़ेगा।

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कालेजों में खरीदी जाएंगी विशेष पुस्तकें , 88 किताबों की सूची जारी

  • ग्वालियर: प्रदेश के सभी कालेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचित करवाए जाने के लिए च्भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकेाष्ठज् का गठन किया जा रहा है। इस प्रकोष्ठ में छात्रों के लिए विशेष पुस्तकों को शामिल किया जा रहा है, जो छात्रा के लिए मददगार साबित होंगी।
  • उच्च शिक्षा विभाग से जारी हुई सूची में कुल 88 किताबें हैं जिन्हें खरीदा जाना है। बता दें कि इस प्रकोष्ठ में पुस्तकें खरीदने के लिए होने वाला व्यय शासकीय कालेजों में जनभागीदारी मद और निजी कालेजों में संस्था की निधि से किया जाएगा। बता दें कि इन पुस्तकों में स्वामी विवेकानंद, दीनानाथ बत्रा और डा कैलाश विश्वकर्मा जैसे कई जाने माने लेखकों की पुस्तकें शामिल हैं।

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