उत्तर प्रदेश का प्रयागराज शहर आस्था का केंद्र हैं. यहां कई मंदिर हैं जहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. वैसे तो यहां गंगा,यमुना और सरस्वती का संगम है लेकिन बुधवार को संगम के तट पर श्रद्धा भक्ति और आस्था का भी संगम हुआ. यहां भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार माने जाने वाले रुद्रावतार हनुमान का अभिषेक कराने स्वयं गंगा उनके द्वार पर पहुंच गयी.
ऐसी मान्यता है की लंका पर विजय हासिल करने के बाद शक्ति के अवतार हनुमान जी को थकान होने लगी. इस दौरान वह इसी संगम के तट पर विश्राम के लिए लेट गए थे तब से लेकर आज तक मां गंगा उनको शयन कराने हर साल आती हैं और जिस साल ऐसा नहीं होता वो साल अपने साथ अमंगल लाता है. ऐसे दुर्लभ पल के साक्षी बनने के लिए हजारों की संख्या में भक्त वहां पहुंचे.
श्रद्धालु बाढ़ आने की करते हैं प्रार्थना
दुनिया भर में नदी के किनारे रहने वाले करोड़ों लोगों की धड़कन उस वक्त बढ़ने लगती है जब नदी का जलस्तर बढने लगता है. जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का कतरा पैदा हो जात है. बाढ़ के कारण हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित भी होते हैं. लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां लोग बाढ़ आने के लिए प्रार्थना करते हैं. ये जगह कोई और नहीं बल्कि तीर्थराज प्रयाग है. इसके पीछे का कारण धार्मिक है.
मां गंगा ने किया हनुमान जी का जलाभिषेक
ऐसी धार्मिक मान्यता है की रावण का वध करने के बाद जब भगवान् राम अयोध्या लौट रहे थे, तब महर्षि भारद्वाज का आशीर्वाद लेने के लिए वो प्रयाग आये थे लेकिन शिव के रुद्रावतार हनुमान जी गंगा के किनारे लेट गए. ऐसा कहा जाता है कि तब से हर साल पतितपावनी गंगा हनुमान जी का जलाभिषेक कराने आती हैं. अभी सावन का महीना चल रहा है और आज ही मां गंगा ने हनुमान जी का जलाभिषेक कर दिया जिसके साक्षी हजारों श्रद्धालु बने. इस दौरान लोगों ने पूजा अर्चना कर प्रार्थनी भी की.