संत सिंगाजी के समाधि दिवस पर दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, पेश किए निशान, माने जाते हैं निमाड़ के कबीर
खंडवा, मूंदी। निमाड़ के कबीर माने जाने वाले संत सिंगाजी महाराज के 465 वें समाधि दिवस पर मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने समाधि दर्शन कर निशान पेश किए। सुबह से शुरू हुआ दर्शनों का सिलसिला देर शाम तक चला। इस दौरान दोपहर चार बजे महाआरती की गई। दिनभर संत सिंगाजी के भजन और हलवा प्रसादी का वितरण किया गया।
जगमगा उठा समाधि परिसर
शाम सात बजे दीप स्तंभ के 164 दीप जलने से समाधि परिसर जगमगाने लगा। दो दिनों में यहां 70 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने समाधि दर्शन किए। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं ने कडावा देकर हलवे की प्रसादी वितरित की गई। मूंदी से निकाली गई निशान यात्रा में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और विधायक नारायण पटेल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
- सावन सुदी नवमी को संत सिंगाजी महाराज ने 465 साल पहले समाधि ली थी। तभी से यहां अखंड ज्योत जल रही है।
- समाधि दिवस पर अपने आराध्य संत सिंगाजी महाराज के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
- बीड़ के निकट इंदिरा सागर के बैकवाटर के बीच स्थित है संत सिंगाजी की समाधि।
- संत सिंगाजी की समाधि पर निशान लेकर नंगे पैर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला एक दिन पहले से ही शुरू हो गया था।
- सावन मास की नवमी पर सुबह से समाधि का अभिषेक और आरती की गई। इसके बाद सिंगाजी के परिवार के बुजुर्गो का सम्मान ट्रस्ट की ओर से किया गया।
- दोपहर 12 बजे भोग आरती के बाद हलवा प्रसादी का वितरण किया गया। दोपहर चार बजे महाआरती में हजारों भक्त शामिल है।
- मान्यता है कि नवमीं पर इसी समय सिंगाजी ने समाधि ली थी। शाम में सवा सात बजे आरती और दीपमाला स्तंभ के164 दीपों को रोशन किया गया।
- श्रद्धालुओं द्वारा आतिशबाजी भी की गई। बीड़ और अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी के लिए भंडारों का आयोजन किया गया।
- संत सिंगाजी का जन्म संवत 1576 में वैशाख सुदी नवमी को ग्राम खजूरी जिला बड़वानी में हुआ था।
- मान्यता है कि संत सिंगाजी महाराज ने अपने 40 साल के जीवन में अनगिनत चमत्कार किए थे।
- बताया जाता है कि संत सिंगाजी को पशुओं से असीम स्नेह था। उन्हें पशुओं का देवता भी कहा जाता है।
- यह भी मान्यता है कि किसानों के पशुओं के बीमार होने पर यहां का जल पिलाने से ठीक हो जाते हैं।
- फसलों पर भी बीमारी और कीट लगने पर किसान आस्था से यहां के जल का छिड़काव करते हैं।
- श्रद्धालुओं के अनुसार मान्यता है कि संत सिंगाजी की समाधि का जल चमत्कारिक माना जाता है।