इंदौर। इंदौर से महज चालीस किमी दूर एक बार फिर चोरल वनक्षेत्र में बाघ का मूवमेंट बढ़ा है। डेढ़ साल बाद यहां बाघ नजर आया है। बीते पंद्रह दिन में अलग-अलग क्षेत्र में ग्रामीणों ने बाघ को देखने का दावा किया है। कुछ स्थानों पर पगमार्क मिले है। बारिश होने से गीली मिट्टी में पैरों के निशान फैल गए हैं। इसके चलते वनकर्मियों ने आसपास के जंगलों में सर्चिंग कर रहे हैं।
महू जंगल से निकलकर अब बाघ चोरल रेंज में पहुंच चुका है। महू वनसीमा से लेकर चोरल रेंज में आने वाले गांवों में बाघ की हलचल दिखी है। अधिकारियों के मुताबिक उदयनगर से बड़वाह के बीच घना जंगल है, जो टाइगर कारिडोर है। यहां हमेशा बाघ का मूवमेंट रहता है। चूंकि डेढ़ साल पहले इंदौर-खंडवा हाइवे का काम शुरू हुआ है।
सुरंग और सड़क बनाने में भारी मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है। इनकी कंपन से वन्यप्राणियों का प्राकृतिक वास प्रभावित हुआ है। यही वजह है कि चोरल से निकलकर बाघ महू-मानपुर और बड़वाह तक पहुंच गए हैं।
ये अब लौटकर अपने टाइगर कॉरिडोर में जाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। इसके चलते कभी महू तो कभी चोरल में पंजों के निशान मिलते है। डीएफओ महेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है कि पगमार्क को देखकर अभी कुछ भी स्पष्ट रूप से कहना सही नहीं होगा। निशान काफी फैले हैं। वैसे बाघ के मूवमेंट पर नजर रखे हैं।