ग्वालियर। अवैध कालोनियों के लिए कुख्यात ग्वालियर में इसका कारोबार जमकर फलफूल रहा है। 2019 में अवैध कालोनियों पर चलाए गए डंडे के बाद भी माफिया नहीं माने और जिला प्रशासन व नगर निगम के सामने कालोनियां बसती गईं। इनकी संख्या अभी भी 300 पार है। खुद नगर निगम व टीएंडसीपी से कलेक्टर को मिली रिपोर्ट में यह सामने आया। इसी पर अंकुश लगाने के लिए अब कलेक्टर रुचिका चौहान ने जिले के सभी एसडीएम से अवैध कालोनियों की जानकारी मांगी है।
इसके लिए आठ बिंदुओं का प्रपत्र भी तैयार कराया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि यदि उनके क्षेत्र में वर्तमान में भूमि व भवन का विक्रय कर कोई नई अवैध कालोनी स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं तो उसकी जांच कराएं और पूर्व में चिह्नित अवैध कालोनियों सहित सभी अवैध कालोनियों की इकजाई सूची कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध कराएं।
प्रमाणीकरण भी मांगा कि-क्षेत्र में कोई अवैध कालोनी नहीं
कलेक्टर ने यह भी निर्देश दिए हैं कि संबंधित राजस्व निरीक्षण से इस आशय का प्रमाणीकरण भी लिया जाए कि उनके क्षेत्र में अन्य कोई अवैध कॉलोनी का निर्माण कार्य संचालित नहीं है। ज्ञात हो जिले में वर्ष 2019 में समस्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा अवैध कालोनियों की व्यापक स्तर पर जांच की गई थी। साथ ही इसकी सूची भी नगर निगम को दी गई थी। कलेक्टर ने नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई, उसी सूची को सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को पत्र के साथ भेजा है। साथ ही संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश की ओर से प्राप्त वैध कालोनियों की सूची भी उपलब्ध कराई है।
माफिया लगातार काट रहा कालोनियां
- कलेक्टर ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि यह संज्ञान में आया है कि पूर्व में हुई जांच के बाद भी कतिपय व्यक्तियों व समूहों द्वारा अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। साथ ही पूर्व में चिह्नित अवैध कालोनियों और नई अवैध कालोनियों में निरंतर प्लाट व भवन बेचे जा रहे हैं। ऐसी अवैध कालोनियों में भूमि और भवन खरीदने वाले लोगों को स्वत्व, स्वामित्व और भवन निर्माण की अनुज्ञा प्राप्त करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही ऐसी कालोनियों में मूलभूत सुविधायें भी नहीं मिल पाती हैं। इसके फलस्वरूप न्यायालय में याचिकाएं लगती हैं और शासन को भी पक्षकार बनाया जाता है।
- ऐस होगा प्रपत्र: अवैध कालोनी के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी रुचिका चौहान ने एक प्रपत्र तैयार कराया है, जिसमें लगभग आठ बिंदु निर्धारित किए गए हैं। इन बिंदुओं में अवैध कॉलोनी का नाम एवं पता, ग्राम का नाम, खसरा क्रमांक व रकबा, राजस्व अभिलेख में भूमि की स्थिति (मिसिल व वर्तमान दोनों), कालोनी में शासकीय भूमि या उसके अंश भाग पर अतिक्रमण तो नहीं किया गया है, कालोनी में प्लाटिंग किस व्यक्ति व समूह द्वारा की गई है, उसका नाम पता व मोबाइल फोन नंबर, किसी व्यक्ति या समूह द्वारा अपनी पहचान छुपाकर कालोनी में प्लाटों का विक्रय भूमि स्वामियों के माध्यम से तो नहीं किया जा रहा है, कालोनी निर्माण के लिए सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त अनुमतियां हैं या नहीं इत्यादि शामिल हैं।