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गुरुवार के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, सभी वैवाहिक बाधाएं होंगी दूर!

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हिन्दू धर्म में गुरुवार का दिन देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है. इस दिन बृहस्पति देव की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. साथ ही, घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. गुरुवार के दिन इस व्रत कथा के सुनने या पढ़ने से लोगों को घर-परिवार में खुशियां बनी रहती हैं. गुरुवार का व्रत करने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने के कारण विवाह की हर बाधा दूर होती है. इसके अलावा नौकरी में तरक्की के लिए भी यह व्रत बहुत प्रभावी माना जाता है.

गुरुवार व्रत पूजा विधि | Guruvar Vrat Puja Vidhi

  • सबसे पहले गुरुवार के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
  • एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर बृहस्पति देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
  • पीले फूल, पीला चंदन, पीले वस्त्र, पीला चावल, गेंहू, तिल, गुड़, घी, दीपक, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें.
  • पूजन के समय बृहस्पति देव के मंत्रों का जाप करें और आरती करें.
  • पूजन और आरती के बाद व्रत कथा का पाठ अवश्य करें.
  • पीले रंग का भोजन बनाकर बृहस्पति देव को भोग लगाएं.
  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि दान करें.
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गुरुवार व्रत कथा | Guruvar Vrat Katha

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण रहता था, वह बहुत निर्धन था. उसके कोई संतान नहीं थी. उसकी पत्नी बहुत मलीनता के साथ रहती थी. वह स्नान भी न करती थी और किसी देवता का पूजन न करती, इससे ब्राह्मण देवता बड़े दुःखी थे. बेचारे बहुत कुछ कहते थे किन्तु उसका कुछ परिणाम न निकला. भगवान की कृपा से ब्राह्मण की पत्नी के कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ. कन्या बड़ी होने पर सुबह स्नान करके विष्णु भगवान का जाप व बृहस्पतिवार का व्रत करने लगी. अपने पूजन-पाठ को समाप्त करके विद्यालय जाती तो अपनी मुट्ठी में जौ भरके ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती. तब ये जौ स्वर्ण के जो जाते लौटते समय उनको बीन कर घर ले आती थी.

बृहस्पति देव ने पूरी की इच्छा

एक दिन वह बालिका सूप में उस सोने के जौ को फटककर साफ कर रही थी कि उसके पिता ने देख लिया और कहा हे बेटी! सोने के जौ के लिए सोने का सूप होना चाहिए. दूसरे दिन बृहस्पतिवार था इस कन्या ने व्रत रखा और बृहस्पति देव से प्रार्थना करके कहा कि मैंने आपकी पूजा सच्चे मन से की हो तो मेरे लिए सोने का सूप दे दो. बृहस्पति देव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली. रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई जाने लगी जब लौटकर जौ बीन रही थी तो बृहस्पति देव की कृपा से सोने का सूप मिला. उसे वह घर ले आई और उसमें जौ साफ करने लगी. परन्तु उसकी मां का वही ढंग रहा.

एक राजपुत्र को पसंद आई कन्या

एक दिन की बात है कि वह कन्या सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी. उस समय उस शहर का राजपुत्र वहां से होकर निकला. इस कन्या के रूप और कार्य को देखकर मोहित हो गया तथा अपने घर आकर भोजन तथा जल त्याग कर उदास होकर लेट गया. राजा को इस बात का पता लगा तो अपने प्रधानमंत्री के साथ उसके पास गए और बोले हे बेटा तुम्हें किस बात का कष्ट है? किसी ने अपमान किया है अथवा और कारण हो सो कहो मैं वही कार्य करूंगा जिससे तुम्हें प्रसन्नता हो.

राजकुमार के साथ कन्या का विवाह

अपने पिता की राजकुमार ने बातें सुनी तो वह बोला मुझे आपकी कृपा से किसी बात का दुःख नहीं है किसी ने मेरा अपमान नहीं किया है परन्तु मैं उस लड़की से विवाह करना चाहता हूं जो सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी. यह सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ गया और बोला कि हे बेटा! इस तरह की कन्या का पता तुम्हीं लगाओ. मैं उसके साथ तेरा विवाह अवश्य ही करवा दूंगा. राजकुमार ने उस लड़की के घर का पता बतलाया. तब मंत्री उस लड़की के घर गए और ब्राह्मण देवता को सभी हाल बतलाया. ब्राह्मण देवता राजकुमार के साथ अपनी कन्या का विवाह करने के लिए तैयार हो गए तथा विधि-विधान के अनुसार ब्राह्मण की कन्या का विवाह राजकुमार के साथ हो गया.

बेटी ने की पिता की मदद

कन्या के घर से जाते ही पहले की भांति उस ब्राह्मण देवता के घर में गरीबी का निवास हो गया. अब भोजन के लिए भी अन्न बड़ी मुश्किल से मिलता था. एक दिन दुःखी होकर ब्राह्मण देवता अपनी पुत्री के पास गए. बेटी ने पिता की दुःखी अवस्था को देखा और अपनी मां का हाल पूछा. तब ब्राह्मण ने सभी हाल कहा. कन्या ने बहुत सा धन देकर अपने पिता को विदा कर दिया. इस तरह ब्राह्मण का कुछ समय सुखपूर्वक व्यतीत हुआ. कुछ दिन बाद फिर वही हाल हो गया. ब्राह्मण फिर अपनी कन्या के यहां गया और सारा हाल कहा तो लड़की बोली कि हे पिताजी! आप माताजी को यहां लिवा लाओ. मैं उसे विधि बता दूंगी जिससे गरीबी दूर हो जाए.

सुख भोगकर स्वर्ग को हुए प्राप्त

वह ब्राह्मण देवता अपनी स्त्री को साथ लेकर पहुंचे तो अपनी मां को समझाने लगी. हे मां तुम प्रातःकाल प्रथम स्नानादि करके विष्णु भगवान का पूजन करो तो सब दरिद्रता दूर हो जाएगी. परन्तु उसकी मां ने एक भी बात नहीं मानी और प्रातःकाल उठकर अपनी पुत्री के बच्चों की जूठन को खा लिया. इससे उसकी पुत्री को भी बहुत गुस्सा आया और एक रात को कोठरी से सभी सामान निकाल दिया और अपनी मां को उसमें बंद कर दिया. प्रातःकाल उसे निकाला तथा स्नानादि कराके पाठ करवाया तो उसकी मां की बुद्धि ठीक हो गई और फिर प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखने लगी. इस व्रत के प्रभाव से उसके मां बाप बहुत ही धनवान और पुत्रवान हो गए और बृहस्पति देव के प्रभाव से इस लोक के सुख भोगकर स्वर्ग को प्राप्त हुए.

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