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कांग्रेस हाईकमान से बैर नहीं पर हुड्डा की खैर नहीं हरियाणा में सचिन पायलट की राह पर कुमारी सैलजा?

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हरियाणा के चुनावी दंगल में भूपिंदर हुड्डा गुट से अदावत के बीच कुमारी सैलजा की सियासी चालें सुर्खियों में हैं. मंगलवार को सैलजा ने जहां अपने जन्मदिन पर हुड्डा गुट के नेताओं की तरफ से मिली जन्मदिन की बधाई पर प्रतिक्रिया नहीं दी, वहीं उन्होंने देर शाम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ केक कटिंग की अपनी तस्वीर शेयर कर दी.

अब हरियाणा के सियासी गलियारों में इसके मायने निकाले जा रहे है. वहीं सैलजा जिस तरह से सियासी बिसात बिछा रही हैं, उसे सचिन पायलट से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

सैलजा ने हुड्डा को धन्यवाद नहीं दिया

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24 सितंबर यानी कल कुमारी सैलजा का जन्मदिन था. इस मौके पर छोटे से लेकर बड़े नेताओं तक ने सैलजा को बधाई दी. सैलजा ने सबको धन्यवाद भी दिया, लेकिन 2 नेताओं को छोड़कर. ये 2 नेता हैं- भूपिंदर और दीपेंद्र सिंह हुड्डा.

भूपिंदर हुड्डा ने मंगलवार को करीब 11 बजे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सैलजा को जन्मदिन की बधाई दी, लेकिन सैलजा ने हुड्डा के इस बधाई पर कुछ नहीं कहा, जो हरियाणा के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

हरियाणा की पॉलिटिक्स में यह पहली बार है, जब सैलजा ने हुड्डा को बधाई देने के लिए धन्यवाद नहीं दिया है.

सैलजा का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वे आपसी तानातनी की खबरों को स्वीकार कर रही हैं. इतना ही नहीं, सैलजा यह भी कह रही हैं कि दूसरे गुट के लोग मुझे प्रचार के लिए क्यों बुलाएंगे?

खरगे के साथ केक कटिंग की तस्वीर शेयर की

एक तरफ जहां सैलजा ने हु्ड्डा एंड टीम के बधाई पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ केक कटिंग की तस्वीर शेयर की है. खरगे तस्वीर में सैलजा को केक खिलाते नजर आ रहे हैं.

सैलजा ने तस्वीर के साथ लिखा- मेरे जन्मदिन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिले स्नेह और शुभकामनाओं के लिए हृदय से आभार.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हरियाणा के आपसी टशन को लेकर हाल ही में सैलजा ने खरगे के पास अपनी शिकायत पहुंचाई थी, जिस पर खरगे ने एक्शन लेने की बात कही थी.

सैलजा हरियाणा में टिकट बंटवारा और चुनाव से खुद को अलग-थलग करने को लेकर हुड्डा गुट से नाराज चल रही हैं.

सैलजा की सक्रियता के सियासी मायने?

सैलजा जिस तरह से हुड्डा गुट को इग्नोर कर रही हैं और हाईकमान से खुद को करीब बता रही हैं, उसके 2 सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

1. सैलजा हरियाणा में अपने समर्थकों को संदेश दे रही हैं कि कांग्रेस में हाईकमान से उनकी कोई बैर नहीं है, लेकिन हुड्डा गुट से नहीं मिलना है. हरियाणा की राजनीति में अभी कांग्रेस के भीतर एक तरफ हुड्डा और उदयभान का गुट है तो दूसरी तरफ रणदीप सुरजेवाला और सैलजा का गुट.

2. हाईकमान से करीब होकर सैलजा यह भी संदेश देना चाह रही हैं कि वो दूसरे नेताओं की तरह नहीं है, जो पार्टी छोड़कर चली जाए. हरियाणा में हुड्डा गुट से अदावत की वजह से किरण चौधरी, अशोक तंवर और कुलदीप बिश्नोई जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं.

सचिन पायलट के रास्ते पर सैलजा?

हरियाणा की तरह ही राजस्थान में भी कांग्रेस के भीतर इसी तरह की सियासी गुटबाजी देखने को मिली थी. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट आमने-सामने थे. पायलट गुट ने गहलोत कैंप के खिलाफ जमकर मोर्चेबंदी की, लेकिन हाईकमान के खिलाफ कभी बगावत नहीं की.

पायलट को इसका इनाम भी मिला. मंच से राहुल ने उनकी तारीफ की तो पार्टी ने पायलट को महासचिव की कुर्सी भी सौंपी. वर्तमान में वे छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं. कहा जा रहा है कि सैलजा भी इसी रास्ते पर चल रही हैं. वर्तमान में जो हरियाणा कांग्रेस की राजनीति है, उसमें सैलजा गुट हुड्डा कैंप के सामने काफी कमजोर स्थिति में है.

सैलजा यह बात बखूबी जानती हैं. यही वजह है कि सैलजा हुड्डा गुट का तो विरोध कर रही हैं, लेकिन दूसरी तरफ हाईकमान से करीबी दिखाने की कोशिश कर रही हैं. कहा जा रहा है कि इस बहाने सैलजा हरियाणा कांग्रेस में सियासी मोल-भाव बनाए रखना चाहती है.

हरियाणा की सियासत में सैलजा कितनी मजबूत?

सिरसा से लोकसभा सांसद सैलजा की छवि एक दलित नेता की है. सैलजा को राजनीति अपने पिता चौधरी दलबीर सिंह से विरासत में मिली है. सैलजा का अंबाला और सिरसा इलाके में मजबूत पकड़ है. इन इलाकों में लोकसभा की 2 और विधानसभा की करीब 20 सीटें हैं.

सैलजा गुट को इस बार कांग्रेस ने 9 टिकट दिए हैं. कहा जा रहा है कि सैलजा इसी वजह से नाराज चल रही हैं.

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