चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी नई पार्टी जन सुराज की लॉन्चिंग को लेकर जोर-शोर से जुट गए हैं. पीके की सियासी पार्टी के लॉन्चिंग को लेकर दो सवाल सियासी गलियारों में उठ रहे हैं. पहला सवाल, जन सुराज का संविधान कैसा होगा और दूसरा सवाल पार्टी के अध्यक्ष पद की कुर्सी किसे मिलेगी?
कौन होगा जन सुराज का नया अध्यक्ष?
इसी साल जुलाई के आखिर में प्रशांत किशोर ने ऐलान किया था कि पार्टी का पहला अध्यक्ष दलित वर्ग से होगा. बिहार में दलितों की आबादी करीब 19 फीसद है और पीके के इस घोषणा को इन्हीं समुदाय को साधने के तौर पर देखा जा रहा है.
जन सुराज से जुड़े सूत्रों के मुताबिक नए अध्यक्ष का नाम अभी फाइनल नहीं किया गया है, लेकिन प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने पूरे बिहार से इस पद के लिए 100 नामों को शॉर्टलिस्ट किया है.
जन सुराज के सूत्रों का कहना है कि इन्हीं 100 में से कोई एक अध्यक्ष बनेगा. हालांकि, कौन होगा, यह फाइनल फैसला प्रशांत खुद करेंगे.
संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा- भागलपुर के एक गांधीवादी और दलित नेता रेस में सबसे आगे हैं. पीके उन्हें पसंद भी करते हैं. फील्ड से उनका नाम भी गया है तो हो सकता है, उन्हें अध्यक्ष बना दिया जाए.
हालांकि, पार्टी के भीतर पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और जन सुराज के संविधान निर्माण समिति के सदस्य ललन जी और चयन समिति के गणेश राम का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए चल रहा है.
अध्यक्ष की घोषणा 2 अक्तूबर को करेंगे. अभी एक फाइनल मीटिंग होनी है, जिसके बाद नाम तय कर लिया जाएगा.
जन सुराज में अध्यक्ष कितने पावरफुल होंगे?
अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह जन सुराज में भी अध्यक्ष को अधिकार मिलेंगे, लेकिन कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर की वजह से शायद ही अध्यक्ष यहां ज्यादा कुछ कर पाएं. जन सुराज के सांगठनिक संरचना में अध्यक्ष के बाद संगठन के महासचिव पावरफुल होंगे.
जन सुराज को प्रशांत किशोर का पॉलिटिकल वेंचर कहा जा रहा है. प्रशांत ही इसके सूत्रधार हैं. खुद पीके इस बात को कहते भी हैं. प्रशांत जन सुराज में सीएम की फेस भी हैं. वहीं जन सुराज में अब तक जितने भी इन्वेस्टमेंट किए गए हैं, वो सब पीके के ही हैं.
जन सुराज के प्लेटफॉर्म पर भी यह देखने को मिल रहा है. हर जगह पीके की ही तस्वीर लगी हुई है.
2025 के चुनाव तक पद पर रहेंगे अध्यक्ष
सूत्रों के मुताबिक 2 अक्तूबर को जो नए अध्यक्ष नियुक्त होंगे, वो 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव तक अपने पद पर रहेंगे. जन सुराज में अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल के लिए रखा गया है. प्रशांत किशोर के मुताबिक हर साल अध्यक्ष बदलेंगे और सामूहिक भागीदारी के तहत इस पद पर सभी समुदाय को मौका मिलेगा.
पहले साल में दलित, दूसरे साल में अतिपिछड़ा, तीसरे साल में मुस्लिम, चौथे साल में पिछड़ा और पांचवें साल में सवर्ण समुदाय के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है.
1 करोड़ सदस्य और 12 लाख पदाधिकारी बनेंगे
जन सुराज पार्टी अपने अभियान के तहत पूरे बिहार में एक करोड़ सदस्य बनाएगी. पार्टी के बिहार में 12 लाख पदाधिकारी भी होंगे. जिला और ब्लॉक स्तर पर मुख्य कार्यकारिणी के अलावा एक अभियान समिति का भी गठन किया जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर सेंट्रल कमेटी सबसे पावरफुल होगी. सेंट्रल कमेटी में 19-21 सदस्य होंगे.
जन सुराज ने संविधान भी तय कर लिया है. संविधान के मुताबिक विधायकी लड़ने वाले नेताओं के लिए राइट टू रिकॉल सिस्टम लागू किया जाएगा. साथ ही न्यूनतम अर्हता को भी संविधान में शामिल किया गया है.