मुंबई यूनिवर्सिटी में हाल ही में सीनेट चुनाव हुए, जिसमें आदित्य ठाकरे की शिवसेना के यूथ विंग युवासेना को बंपर जीत हासिल हुई. युवा सेना ने सभी 10 सीटों पर बाजी मारी. चुनाव के नतीजे शुक्रवार को सामने आए. मुंबई यूनिवर्सिटी में हुए चुनाव में सीधे मुकाबला युवा सेना और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बीच था, जिसमें एबीवीपी को बुरी तरह से हार हुई.
55 फीसदी हुई वोटिंग
मुंबई हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 24 सितंबर को 10 सीटों के लिए चुनाव हुआ था. सीनेट की 10 सीटों में से 5 सीटें रिजर्व और 5 सीटें ओपन थीं और कुल 28 उम्मीदवारों ने चुनाव में हिस्सा लिया था. इस बार करीब 55 फीसदी मतदान हुआ है. 2018 में हुए चुनाव की तरह ही युवा सेना ने इस चुनाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. युवा सेना का नेतृत्व उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने किया.
किसके हाथ लगी जीत
विजयी उम्मीदवारों में प्रदीप सावंत, मिलिंद साटम, अल्पेश भोईर, परम यादव, शशिकांत ज़ोरे, शीतल देवरुखकर, धनराज कोहचडे, मयूर पांचाल और स्नेहा गवली के नाम शामिल हैं. अविभाजित शिव सेना के समय से ही युवा सेना यहां की मजबूत उम्मीदवार रही है. मुंबई यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव दो साल से अधिक समय से पेंडिंग थे और राजनीतिक विकास के कारण विवादों में भी घिरे थे, जिसके बाद 2018 के बाद एक बार फिर चुनाव कराए गए, जिसमें युवा सेना से जीत अपने नाम की.
आदित्य ठाकरे ने उम्मीदवारों को दी बधाई
युवा सेना (यूबीटी) के लीडर आदित्य ठाकरे ने सभी विजयी उम्मीदवारों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह सभी की मेहनत और मतदाताओं के समर्थन से ही संभव हो पाया है. हार के डर से प्रदेश के शहरी और स्थानीय निकायों में चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने चुनाव कराने का आदेश देने के लिए मुबंई हाईकोर्ट का भी आभार जताया.
सीनेट चुनाव क्यों है अहम?
सीनेट मुंबई यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी निर्णय और निगरानी संस्था है. जिसका प्रतिनिधित्व टीचर, प्रिंसिपल, कॉलेज के मैनेजमेंट के साथ-साथ रजिस्टर्ड ग्रेजुएट करते हैं. महाराष्ट्र में छात्र परिषद चुनाव पर रोक लगी है. एमयू के सीनेट चुनाव लड़ने वालों को संबंधित यूनिवर्सिटी का छात्र होना अनिवार्य है और यह दिल्ली यूनिवर्सिटी या जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनावों से अलग हैं.