ग्वालियर। यदि किसी साइबर ठग ने ठगी के पैसों से यूपीआइ भुगतान या सामान की खरीदी कर ली है तो बैंक खाता फ्रीज (लेनदेन पर रोक) हो सकता है। खरीदी 50-100 रुपयों की हो तो भी खाते में जमा लाखों रुपये ब्लाक होंगे। देश भर के हजारों कारोबारियों के लाखों रुपये ऐसे भुगतान के चलते फंस गए है। गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल और साइबर क्राइम की हेल्पलाइन 1930 पर देशभर से पहुंच रही शिकायतों के बाद की प्रक्रिया में यह गड़बड़झाला सामने आया है।
इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित वे कारोबारी हैं जिनके यहां से ठगों ने खरीदारी की है। ठगी के आरोपित से लेनदेन होने पर ही उनसे संबंधित बैंक खाते फ्रीज किए जा रहे हैं। ग्वालियर से ऐसे मामले सामने आने के बाद कारोबारियों के संगठन मध्य प्रदेश चैंबर आफ कामर्स ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा है। साइबर धोखाधड़ी की घटना के बाद पीड़ित पोर्टल साइबर क्राइम डाट जीओवी डाट इन या फिर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करते हैं।
यहां फरियादी अपना बैंक खाता, जिस नंबर से फोन आया या जिस खाते या पे वालेट में उसने रुपये डाले, उसकी जानकारी देता है। शिकायत पंजीकृत होते ही स्वत: उन सभी खातों को ब्लाक करने के लिए ई-मेल जनरेट होता है, जिस खाते में ठगी की रकम गई या इस खाते से और जिन खातों में अन्य भुगतान हुआ। पूरी चेन के सभी बैंक खाते ब्लाक हो जाते हैं। दरअसर, साइबर ठगी करने वाले रुपये मिलते ही खरीदारी करते हैं। विविध सेवाओं, अन्य बिलों के लिए भुगतान आनलाइन ही करते हैं। ठगी की पुष्टि होते ही आरोपित के खाते सहित यह पूरी चेन ब्लाक हो जाती है।
2500 खाते में आए फ्रीज हो गए 63 लाख रुपये
डबरा में ठग 2500 रुपये का आनलाइन भुगतान कर पेट्रोल ले गया। इसी के चलते पेट्रोल पंप कारोबारी विवेक गुप्ता का खाता फ्रीज हो गया। इसमें 63 लाख रुपये हैं। ठगी गुजरात में हुई थी, अतः खाता शुरू करवाने वहां जाना पड़ा।
75 रुपये के लेनदेन में 1.75 लाख फ्रीज
डेयरी संचालक गगनदेव सिंघल से ठग ने 75 रुपये आनलाइन भुगतान कर दूध, दही खरीदा। 23 सितंबर को खाता फ्रीज कर दिया। खाते में 1.75 लाख रुपये हैं। रुपये अटकने से वह परेशान हैं।
ग्वालियर पुलिस सिर्फ रकम कराती है फ्रीज
साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत के बाद पूरी चेन ब्लाक हो रही है, लेकिन जब ग्वालियर पुलिस की साइबर सेल से बात की तो बताया कि ठगी की रकम जिस खाते में गई है, सिर्फ उसमें वही राशि फ्रीज कराई जाती है, जितने की ठगी हुई है। पूरा खाता फ्रीज नहीं कराया जाता।
खाते से रोक हटवाना आसान नहीं
बैंक खाता फ्रीज तो एक ई-मेल पर हो जाता है, लेकिन उससे रोक हटवाना किसी युद्ध से कम नहीं। खाता खुलवाने के लिए पीड़ित के शहर जाना होगा। स्थानीय पुलिस को साक्ष्य देने होंगे कि वे किसी भी तरह से ठगी में शामिल नहीं हैं। वहां की पुलिस संबंधित कारोबारी को क्लीनचिट देगी और वह बैंक को ई-मेल या पत्राचार करती है, तब खाते पर से रोक हटती है।