ग्वालियर। बाल संप्रेक्षण गृह में ऐसे भी बाल अपचारी हैं जो बार-बार अपराध के आरोप में आते हैं। तीन से चार-चार बार अपराध कर रहे हैं यानी यह आदतन अपराध कर रहे हैं। इसको लेकर चिंता की बात है। संप्रेक्षण गृह में दो कमरों में 18 बच्चे हैं जिनमें पलंग तो नौ ही हैं। ऐसे में आधे बच्चों को जमीन पर सोना पड़ता है। 15 बच्चे ग्वालियर के हैं और तीन बच्चे दतिया के हैं। सबसे ज्यादा बाल अपराधी हत्या के आरोप में है।
हुरावली पर बाल संप्रेक्षण गृह को कंपोजिट भवन में शिफ्ट होना है, जो भवन प्रस्तावित है। जेजे एक्ट के अनुसार बच्चों के लिए मौजूदा बाल संप्रेक्षण गृह पर्याप्त नहीं है। शुक्रवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सहित सदस्यों की मौजूदगी में यहां विधिक साक्षरता का शिविर लगाया, जिसमें निरीक्षण के दौरान यह सामने आया। बाल संप्रेक्षण गृह में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित कर संप्रेक्षण गृह में रह रहें बालकों के हितों से संबंधित विभिन्न कानूनी प्रविधानों की जानकारी दी गई।
इस शिविर का आयोजन प्रधान जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पीसी गुप्ता के आदेश पर नालसा (बालकों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं व उनका संरक्षण) योजना 2015 के अंतर्गत किया गया। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ग्वालियर आशीष दवंडे, प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट किशोर न्यायबोर्ड रुपाली उईके, जिला विधिक सहायता अधिकारी दीपक शर्मा ने संप्रेक्षण गृह के बच्चों से संवाद कर उनका हाल-चाल जाना और भोजन, स्वास्थ्य व शिक्षा संबंधी सुविधाओं की जानकारी ली।
साथ ही बालकों के संबंध में उपलब्ध कानूनी सहायता एवं अन्य बाल उपयोगी कानूनों की जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर प्रभारी बाल संप्रेक्षण गृह अधीक्षक राघवेंद्र धाकड़ हाउस मास्टर, मंगला पनहालकर, विधिक सहायता से देव कृष्ण सिकरवार सहित बाल संप्रेक्षण गृह का स्टाफ और संप्रेक्षण गृह के बालक उपस्थित रहे।