नेपाल में गुरुवार से हो रही बारिश के कारण देशभर में तबाही हो रही है. बारिश के साथ कई इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, वहीं कई लोग लापता हैं.राजधानी काठमांडू की ओर जाने वाली सभी सड़कें फिलहाल बंद हैं जिससे हजारों यात्री रास्ते में ही फंसे हैं.
नेपाल पुलिस के मुताबिक भारी बारिश के चलते आई बाढ़ और लैंडस्लाइड में अब तक कम से कम 148 लोगों की मौत हो चुकी है. हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने पुलिस के साथ-साथ सेना को भी तैनात कर दिया है. लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी के चलते बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है.
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए संसाधनों की कमी
आर्म्ड पुलिस फोर्स के प्रवक्ता कुमार न्यूपाने ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उनके पास पर्याप्त संसाधनों की कमी है जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है, बावजूद इसके रेस्क्यू टीमें अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रही हैं. उन्होंने कहा कि एक बार देशभर में बचाव-कार्य पूरा हो जाए तो हम एक आधिकारिक बैठक करेंगे जिसमें तय किया जाएगा कि इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए किस तरह के संसाधनों की जरूरत होगी.
वहीं नेपाल के नेशनल डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी के प्रवक्ता दीजन भट्टराई का कहना है कि सभी सुरक्षाबल बचाव के कामों के लिए अच्छे से ट्रेंड हैं और वो बचाव के लिए रबर की नावों, रस्सियों, ट्यूब और फावड़े जैसी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
विशेषज्ञों ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार
प्राकृतिक आपदा रोकथाम के विशेषज्ञ आमोद मणि दीक्षित समेत कई विशेषज्ञों ने इस आपदा के दौरान बचाव व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि उपकरणों और संसाधनों की कमी के लिए सरकार जिम्मेदार है. नेपाल में अक्सर आपदा आती है, बावजूद इसके सरकार की ओर से बचाव के कामों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है.
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि, मैनपावर होने के बाद भी उन्हें समय पर बचाव के लिए एकजुट नहीं किया जा सकता है, जो कि अच्छा संकेत नहीं है. इससे लोगों को और परेशानी होगी और उन तक राहत सामग्री पहुंचाने में भी देरी होगी.
नेपाल के लिए प्राकृतिक आपदा बड़ी चुनौती
नेपाल में अक्सर होने वाली आपदा के बहुत से कारण हैं. इसकी भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि हर मौसम में प्राकृतिक आपदा का डर बना रहता है. इसके साथ, नेपाल का ऊबड़-खाबड़ इलाका राहत कार्यों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होता है.
पहाड़ी इलाके बहुत आइसोलेटेड हैं जिससे कनेक्टिविटी की समस्या बनी रहती है. इसके चलते आपदा प्रभावित आबादी तक पहुंचना और तुरंत सेवा और सहायता देने में और भी मुश्किल हो जाती है. जलवायु परिवर्तन भी ऐसी घटनाओं में योगदान देता है. इसके अलावा, सरकार के अलग-अलग विभाग और एजेंसी के बीच ताल-मेल की कमी होने से भी देश को ऐसी परिस्थितियों में ज्यादा समस्या झेलनी पड़ती है.