मुरैना । मुरैना समेत मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से में भारी बारिश के कारण फसलों को नुकसान पहुंचा है। सरकार की व्यवस्था के मुताबिक, अधिकारियों ने खराब फसलों का मुआयना किया।
ताजा खबर यह है कि प्रशासन के सर्वे के मुताबिक, मुरैना में फसलों को 20 फीसदी नुकसान हुआ है। इसका मतलब यह हुआ कि इन किसानों को बीमा के एवज में मुआवजा नहीं मिलेगा। नियामनुसार, बीमा से मुआवजा तभी मिलता है, जब फसल को 25 फीसदी नुकसान हो।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, बीते पखवाड़े आई बाढ़ और भारी बारिश से हुए नुकसान का प्रशासनिक सर्वे पूरा हो गया है। प्रशासन के सर्वे में फसलों को 20 फीसद तक नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों को मुआवजा मिलना मुश्किल है। हालांकि अफसरों का कहना है, कि नदी किनारे के कुछ गांवों में फिर से सर्वे करवा रहे हैं, जहां बाढ़ की समस्या ज्यादा थी।
खेतों नहीं उतरी टीम और हो गया सर्वे
- गौरतलब है कि 10 से 18 सितंबर तक मुरैना जिले में भारी बारिश हुई थी। इस दौरान क्वारी, चंबल, आसन व सोन नदी में बाढ़ आई थी। नदियों किनारे के कईयाें गांव में बाजरा की फसल पांच-पांच फीट तक पानी में डूब गई थी।
- खेताें में इतना पानी भरा हुआ था, कि सर्वे टीम भी आठ से दस दिन तक खेतों में नहीं उतर सकी थी, इसलिए सर्वे नहीं हो सका। अब तहसीलों से कलेक्टोरेट को जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें बाजरा की फसल को 20 फीसद तक नुकसान बताया गया है।
- फसलों में नुकसान पर किसानों को मुआवजा तभी मिलता है, जब नुकसान 25 फीसद से अधिक हो। दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिकाें का कहना है, कि अतिवर्षा और बाढ़ के कारण बाजरा के दाने की चमक पर असर पड़ेगा, दाना छोटा रह जाएगा।
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मुआवजे के लिए 1.40 करोड़ का प्रस्ताव भेजा
बाढ़ और अतिवर्षा इस साल जानलेवा साबित हुई है। सितंबर महीने में ही बाढ़ से 9 लोगों की मौत हुई थी, इसके अलावा 70 मवेशी मारे गए हैं। प्रशासन के सर्वे में 474 मकान ऐसे पाए गए हैं, जो बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन सभी को मुआवजा मिलेगा, इसके लिए जिला प्रशासन ने एक करोड़ 40 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है।
फसलों के सर्वे की जो रिपोर्ट मिली है, उसमें बाजरा की फसल में 20 फीसद तक नुकसान हुआ है। नदियों किनारे के कुछ गांवों की फसलों में ज्यादा नुकसान की संभावना है, उनका सर्वे करवा रहे हैं। – सीबी प्रसाद, अपर कलेक्टर, मुरैना