MP: चंबल अंचल के युवाओं ने फिर उठाई बंदूक, इस बार ना खून बहा ना बदला लिया, अब बंदूक बन रही कैरियर बनाने का साधन
भिंड। बीहड़ बागी और बंदूक के लिए कई दशकों तक बदनाम रहे चंबल अंचल के भिण्ड जिले की पहचान अब यहां के युवा उसी बंदूक के सहारे बदलने का कार्य कर रहे हैं. चंबल के युवाओं के हाथ बंदूक किसी का खून बहाने या बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि कैरियर बनाने के लिए उठा रहे हैं.
भिण्ड के दो दर्जन से अधिक बच्चे और बच्चियां राइफल शूटिंग की ट्रेनिंग ले रहे. जिनमें से 4 बच्चों ने जनवरी महीने में प्रयागराज में भारतीय खेल संघ की चतुर्थ राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में चार गोल्ड मेडल हासिल कर जिले और अंचल का नाम रोशन किया है. यह बच्चे इंडो नेपाल अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में 11 फरवरी से 16 फरवरी तक हिस्सा लेने नेपाल के पोखरा में प्रतियोगिता में भाग लेने गए थे, जहां इनका निशाना गोल्ड पर रहा.
दरअसल भिण्ड के उत्कृष्ट माध्यमिक विद्यालय क्रमांक एक में व्यवसायक सुरक्षा प्रशिक्षक आर्मी रिटायर्ड भूपेंद्र सिंह कुशवाह के नेतृत्व में शूटिंग रेंज बनाई गई है, जहां स्कूल के छात्र-छात्राएं प्रतिदिन शूटिंग का प्रशिक्षण लेते हैं, कुछ उत्साही युवाओं के परिजनों ने शूटिंग में प्रयोग की जाने वाली महंगी राइफल जिनकी कीमत एक लाख तक है. अब यह युवा उन रायफलों से प्रशिक्षण लेकर प्रयागराज में हुई नेशनल चैंपियनशिप में 4 चार युवा अलग-अलग कैटेगरी में 4 गोल्ड मेडल लेकर आए हैं. उसके बाद निशाना अंतर्राष्ट्रीय इंडो नेपाल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड था, जहाँ पर भी इन छात्रों ने गोल्ड मेडल जीत कर सफलता हासिल की है
प्रशिक्षक भूपेंद्र सिंह कुशवाह का कहना है कि चंबल में बंदूकों का आकर्षण बहुत है. हर घर में यहां बंदूक जिले भर में 24 हजार से अधिकांश लाइसेंसी आर्म्स है. लिहाजा युवाओं का आकर्षण बंदूक रही है. वही आकर्षण युवाओं को कैरियर बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है.
आपको बता दें बीते साल भी संभागीय ओर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में 22 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया था और पदक जीतकर जिले का नाम रोशन किया था. स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि स्कूल में संसाधनों की कमी है. उसके बावजूद भी कम संसाधनों में भी बच्चे अच्छा प्रयास कर रहे हैं. कुछ के परिजनों ने महंगी बंदूकें भी उनको दिलवाई हैं. जिससे उनका काम और भी आसान हुआ है. स्कूल के बच्चे अब अंचल का नाम रोशन कर रहे हैं.