भारतीय भूमि से पवित्र कैलाश के दर्शन करने का शिवभक्तों का सपना गुरुवार को पूरा हो गया. नवरात्रि के पहले दिन यात्रियों के पांच सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ स्थित ओल्ड लिपुलेख से माउंड कैलाश के दर्शन किए. कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन से श्रृद्धालु भाव विभोर हो उठे. केन्द्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के सफल संचालन के लिए खास तैयारी की थी. कुमाऊं मंडल विकास निगम ने इसके लिए बाकायदा एक टूर पैकेज घोषित किया है.
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भारत की भूमि से ही शिव भक्तों को कैलाश पर्वत के दर्शन् होना बहुत ही सुखद है. मैं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट करता हूं. हमारी सरकार सीमान्त गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रही है. भविष्य में इस यात्रा को और भी अधिक सुगम बनाने के लिए सुविधाओं को विकसित किया जाएगा.
पांच दिवसीय टूर पैकेज तैयार
उत्तराखंड विकास परिषद की पहल पर कुमाऊं मंडल विकास निगम ने माउंट कैलाश के दर्शन के लिए 5 दिवसीय टूर पैकेज बनाया है. इस पैकेज में भगवान शिव के दो अन्य धाम आदि कैलाश और ऊँ पर्वत के दर्शन भी शामिल है. पैकेज के तहत यात्रियों के पहले 5 सदस्यीय ग्रुप ने गुरुवार को माउंट कैलाश के दर्शन किए. यात्रियों के ग्रुप को बीते बुधवार को हैलीकॉप्टर के माध्यम से पिथौरागढ़ के गूंजी नामक स्थान पर पहुंचाया गया.
यात्रियों ने की धामों की सराहना
इस यात्रा दर्शन कार्यक्रम में नीरज मनोहर लाल चौकसे, मोहिनी नीरज चौकसे, अमनदीप कुमार जिन्दल, केवल कृष्ण, नरेन्द्र कुमार सम्मिलित हैं. इस यात्रा दर्शन को आये श्रद्धालु चौकसे ने बताया कि भगवान शिव के इन पवित्र धामों के दर्शन कर उनको बेहद सुख की अनुभूति हुई है. माउंट कैलाश, आदि कैलाश और ऊँ पर्वत के अलौकिक सौंदर्य के दर्शन ने उनको मंत्रमुग्ध कर दिया है. वहीं अन्य श्रद्धालु जिन्दल ने बताया कि भगवान शिव के इन धामों के दर्शन कर उनको मानो स्वर्ग के दर्शन के हो गये. प्रकृति के इस विहंगम दृश्य को देखते ही मन को अलग ही सुख की प्राप्ति हो रही है. उन्होंने इस यात्रा को संचालित करने के लिए सरकार के प्रति आभार प्रकट किया है.
पहले पार करना होता था चीन बॉर्डर
कोरोना काल से पहले तक केन्द्र सरकार कुमाऊं मंडल विकास निगम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी. तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे. कोरोना काल के बाद से यह यात्रा बंद पड़ी हुई है. वहीं दूसरी ओर भारत चीन विवाद के कारण अभी तक चीन सरकार ने भारत सरकार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अपनी सहमति नहीं दी है. लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने भारत की भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया.
स्थानीय ग्रामीणों ने खोजा व्यू प्वांइंट
पिथौरागढ़ के स्थानीय लोगों ने 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों पर एक ऐसा व्यू प्वाइंट खोजा जहां से कैलाश पर्वत साफ दिखाई देता है. ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची अफसरों और विशेषज्ञों की टीम ने रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के पॉइंट तक जाने का रूट सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया है. अब केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद शासन ने ओल्ड लिपुपास को श्रद्धालुओं के लिए खोलने का फैसला लिया.