शारदीय नवरात्रि 2024 चल रही है. ये त्योहार 9 दिन तक चलता है और इसमें मां शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा की आराधना करने का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है और कहा जाता है कि इससे इंसान के जीवन में मां की कृपा बरसती है और उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की चार भुजाएं होती हैं और उनका स्वरूप काफी विशाल होता है. इसके साथ ही मां कात्यायनी का चेहरा काफी चमकदार होता है. आइये जानते हैं कि मां कात्यायनी का जन्म कैसे हुआ.
Maa Katyayani ke Janm ki Pauranik Katha: मां कात्यायनी के जन्म की पौराणिक कथा
वन में एक महर्षि रहते थे जिनका नाम कत था. उन्हें एक बेटा हुआ जिनका नाम कात्य पड़ा. इसी गोत्र में महर्षि कात्यायन का जन्म हुआ. लेकिन महर्षि को कोई संतान नहीं हुई. संतान सुख की प्राप्ति के लिए उन्होंने तप किया और उनके तप से खुश होकर माता परम्बरा ने उन्हें कात्यायनी के रूप में बेटी दी. कात्यायन की बेटी होने की वजह से उनका नाम कात्यायनी पड़ा. माता ने ही खतरनाक असुर महिषासुर का सर्वनाश कर दिया था.
Maa Katyayani Ki Puja ka Mahatva: मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
मां कात्यायनी की पूजा का बहुत महत्व है. कहते हैं कि अगर भक्त सच्चे मन से माता रानी की पूजा करें तो उन्हें बहुत लाभ होता है. उन्हें अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. इसके अलावा माता रानी अपने भक्तों पर विशेष कृपा भी बरसाती हैं. अगर किसी को शादी में बाधा हो रही है तो ऐसे लोगों पर भी माता की कृपा बरसती है और उनकी शादी से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है.
Bhagwan Krishna se judi Katha: भगवान कृष्ण से जुड़ी कथा
माता कात्यायनी को बृज मंडल की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है और कृष्ण से जुड़ी एक पौराणिक कहानी भी है. ऐसा माना जाता है कि कृष्ण की प्राप्ति के लिए राधा समेत सभी गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी जिससे माता कात्यायनी बहुत खुश हुई थीं. उनके कहने के बाद ही कृष्ण की प्राप्ति गोपियों को हुई. कृष्ण की रासलीला माता कात्यायनी के ही प्रसंग से जुड़ी हुई है.