रायसेन : मध्यप्रदेश में जगत जननी हरसिद्धि माता मंदिर तरावली, उज्जैन एवं रायसेन में स्थित है। विदिशा और रायसेन के लोग मां हरसिद्धि माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। इस कारण यहां के लोगों के लिए यह विशेष धार्मिक आस्था श्रद्धा का केंद्र है। ऐसी मान्यता चली आ रही है कि यदि कोई हिंदू परिवार का सदस्य हरसिद्धि माता का प्रसाद ग्रहण कर लेता है तो उसे हर साल देवी के दर्शन करने अपने परिवार सहित यहां आकर दरबार में मत्था टेक पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ाना पड़ता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष कामता प्रसाद राठौर सचिव सेवक राम चतुर्वेदी ट्रस्ट के अध्यक्ष ऋषीनाथ सिंह कुशवाह ने बताया कि जिला मुख्यालय रायसेन से करीब 14 किलोमीटर दूर परवरिया गांव में मां हरसिद्धि माता का प्राचीन मंदिर है। मंदिर का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। कहा जाता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अपने वाहनों के कारवां के साथ बैलगाड़ी से हरसिद्धि माता की प्रतिमा लेकर जा रहे थे। विदिशा से होकर जैसे ही उनके वाहनों का कारवां रायसेन जिले के परवरिया गांव पहुंचा तो नीम के पेड़ के नीचे हरसिद्धि माता की प्रतिमाएं लेकर वे रुक गए। सुबह जब रवाना होने लगे तो बैलगाड़ी के पहिये की धुरी टूट गई। जिसे बदलने के बाद बैलगाड़ी चलाई तो बैलगाड़ी पलट गई। जिसके कारण राजा विक्रमादित्य ने माता हरसिद्धि की तीन पिंडी रूपी प्रतिमाएं वहीं चबूतरे पर धार्मिक विधि-विधान, हवन पूजन कर विराजित करवा दी थी।
महीने भर लगता है मेला..
बस तभी से यह हरसिद्धि माता मंदिर प्रसिद्ध होता चला गया। यहां हर साल नवरात्रि वार्षिक मेला भी लगता है। जो करीब एक महीने तक चलता है और जिसे देखने विदिशा, रायसेन, भोपाल, होशंगाबाद सीहोर से लोग परिवार सहित माता के दरबार में पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं। कई लोग तो मंदिर परिसर में ही दाल-बाटी और लड्डू चूरमा का प्रसाद तैयार करके माता हरसिद्धि को भोग भी लगाते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर परिसर में बाटियां सेंकने कंडे फ्री उपलब्ध कराते है।