जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे सबके सामने हैं. जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के दम पर कांग्रेस को जश्न का मौका मिला, लेकिन हरियाणा में उसे निराशा हाथ लगी. सत्ता पर काबिज होने का उसका इंतजार और बढ़ गया. हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस ने EVM में बैटरी के प्रतिशत का मुद्दा उठाया. उसने आरोप लगाया कि जहां बैटरी 99 प्रतिशत होती है वहां बीजेपी जीतती है और जहां 60-70 प्रतिशत होती है वहां कांग्रेस जीतती है. कांग्रेस के आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया. ईसी ने कहा कि ईवीएम की शुरुआत के दिन उम्मीदवारों की मौजूदगी में कंट्रोल यूनिट में नई बैटरियां डाली जाती हैं और उन्हें सील कर दिया जाता है.
पहले जानते हैं कांग्रेस ने क्या आरोप लगाया. 8 अक्टूबर को जब नतीजे आ रहे थे तब कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत जिलों से ईवीएम को लेकर शिकायतें आई हैं तथा जिन ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत चार्ज थी उनमें कांग्रेस उम्मीदवारों की हार हुई है, लेकिन जिनकी बैटरी 60-70 प्रतिशत चार्ज थी उनमें कांग्रेस की जीत हुई है.
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, क्या आप इस षड्यंत्र को समझ गए हैं? जहां 99 प्रतिशत बैटरी होती है वहां बीजेपी जीतती है और जहां 60-70 प्रतिशत बैटरी है वहां कांग्रेस जीतती है. यह षड्यंत्र नहीं है तो और क्या है.
आरोपों पर चुनाव आयोग ने क्या कहा?
कांग्रेस के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में एल्केलाइन बैटरियों का इस्तेमाल किया जाता है. ईवीएम की शुरुआत के दिन उम्मीदवारों की मौजूदगी में कंट्रोल यूनिट में नई बैटरियां डाली जाती हैं और उन्हें सील कर दिया जाता है. शुरू में बैटरी 7.5 से 8 वोल्ट के बीच वोल्टेज देती है. इसलिए, जब वोल्टेज 7.4 से ऊपर होता है, तो बैटरी की क्षमता 99 प्रतिशत दिखाई देती है. ईवीएम के इस्तेमाल से इसकी बैटरी की क्षमता और इसके परिणामस्वरूप वोल्टेज कम हो जाता है. वोल्टेज 7.4 से नीचे जाने पर बैटरी की क्षमता 98 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक प्रदर्शित होती है.
कंट्रोल यूनिट तब तक काम करती है जब बैटरी में 5.8 वोल्ट से ज्यादा वोल्टेज होता है. ऐसा तब होता है जब बैटरी की क्षमता 10 प्रतिशत से ज्यादा रह जाती है और कंट्रोल यूनिट डिस्प्ले पर बैटरी बदलने की चेतावनी दिखाई देती है. यह उस संकेत के समान है जो किसी वाहन में तब प्रदर्शित होता है जब इंजन बहुत कम बचे ईंधन पर चल रहा होता है.
क्या होती है EVM?
एक ईवीएम में तीन इकाइयां होती हैं. एक मतपत्र इकाई, प्रभारी अधिकारी के लिए. एक नियंत्रण इकाई जो यह सुनिश्चित करती है कि एक मतदाता केवल एक बार मतदान कर सके. एक मतदाता-सत्यापन योग्य-पेपर-ऑडिट-ट्रेल (वीवीपीएटी) इकाई, जो एक पेपर बनाती है. कंट्रोल यूनिट को प्रभारी अधिकारी के बगल में रखा जाता है जबकि अन्य दो यूनिट को मतदाताओं के लिए निजी तौर पर अपनी पसंद बनाने के लिए मतदान कक्ष में रखा जाता है.
हर कंट्रोल यूनिट और मतपत्र इकाई को एक विशिष्ट आईडी नंबर दिया जाता है, जो प्रत्येक इकाई पर अंकित होता है. किसी विशिष्ट मतदान केंद्र में उपयोग की जाने वाली ईवीएम (बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट) की आईडी नंबर वाली एक सूची तैयार की जाती है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उनके एजेंटों को प्रदान की जाती है.
ईवीएम की कंट्रोल यूनिट चुनाव के नतीजों को 10 साल तक अपनी मेमोरी में स्टोर कर सकती है. 2000 से 2005 वाली ईवीएम में ज्यादा से ज्यादा 3850 वोट पड़ सकते थे. वहीं, ईवीएम के नए वर्जन में 2000 से ज्यादा वोट पड़ सकते हैं.