केंद्र सरकार ने हिज्ब-उत-तहरीर पर गुरुवार को बैन लगा दिया और इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. इस संगठन का गठन 1953 में यरुशलम में हुआ था और यह एक वैश्विक अखिल इस्लामी ग्रुप है. इसका उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों और जिहाद के माध्यम से वैश्विक स्तर पर खिलाफत और इस्लामिक राज्य स्थापित करना है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गुरुवार को एक अधिसूचना जारी की गई. इस अधिसूचना में कहा गया है कि हिज्ब-उत-तहरीर भोले-भाले युवाओं को आईएसआईएस शामिल करने की साजिश रचता रहा है. युवाओं को इस तरह की आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें कट्टरपंथी बनाया जाता है. अधिसूचना में कहा गया है कि वह आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने में शामिल है.
Pursuing PM Shri @narendramodi Ji’s policy of zero tolerance towards terrorism, the MHA today declared Hizb-Ut-Tahrir as a ‘Terrorist Organisation’. The outfit is involved in various acts of terror, including radicalising the gullible youths to join terrorist organisations and
— गृहमंत्री कार्यालय, HMO India (@HMOIndia) October 10, 2024
हिज्ब-उत-तहरीर पर MHA ने लगाया बैन
बयान में कहा गया है कि हिज्ब-उत-तहरीर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सुरक्षित ऐप का उपयोग इस काम के लिए करता है और भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन देता है. बैठकें आयोजित करता है, ताकि युवाओं को आतंकवाद की ओर प्रेरित कर सके.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हिज्ब-उत-तहरीर संगठन का उद्देश्य देश के नागरिकों को शामिल करके आतंकवादी गतिविधियों और जिहाद के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंकना है. इसके साथ ही इसका उद्देश्य भारत सहित विश्व स्तर पर खिलाफत स्थापित करना और इस्लामिक राज्य बनाना है. यह संगठन आंतरिक सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा है.
आतंकवादी गतिविधियों को मदद देने का आरोप
अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार का मानना है कि हिज्ब-उत-तहरीर संगठन आतंकवाद में शामिल है और इस संगठन ने भारत में आतंकवाद के विभिन्न कृत्यों में भाग लिया है. इस समूह को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया है.