भोपाल। राजधानी में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आठ मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डोनर के इंतजार में हैं। जैसे-जैसे समय बीत रहा है] उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे मरीजों की मदद का एक ही रास्ता है कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा कैडेवर (ब्रेन डेड) डोनेशन हों। जागरूकता की कमी के कारण मध्यप्रदेश कैडेवर डोनेशन के मामले में देश के फिसड्डी राज्यों में से एक है। यही वजह है कि अब लोगों को जागरूक करने का जिम्मा एम्स भोपाल ने उठाया है। इसके लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे। जिसमें अंगदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के साथ महादान के प्रति प्रेरित किया जाएगा।
नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में कुल एक हजार 99 कैडेवर (ब्रेन डेड) डोनेशन हुए। जिसमें से तेलंगाना में अकेले 252 कैडेवर डोनेशन हुए, वहीं मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा सिर्फ आठ रहा। इस रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश के लोगों में अंगदान के प्रति उदासीनता को भी बयां किया है।
एम्स में बीते दिनों दो सफल किडनी प्रत्यारोपण हुए हैं। एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि किडनी प्रत्यारोपण की सफलता हमारी समर्पित टीम की विशेषज्ञता और अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हमारे द्वारा की जा रही प्रगति का प्रमाण है। हालांकि, असली चुनौती लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करना है। जीवन का उपहार सबसे बड़ा उपहार है, जो कोई दे सकता है। संस्थान में जल्द ही हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण की शुरुआत होने जा रही है।
राज्य – कैडेवर डोनेशन
तेलंगाना – 252
तमिलनाडु – 178
कर्नाटक – 178
महाराष्ट्र – 148
गुजरात – 146
दिल्ली एनसीआर – 66
मध्यप्रदेश – 8
राजस्थान 7
छत्तीसगढ़ – 4