विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में शामिल होने के लिए मंगलवार को इस्लामाबाद पहुंचे। यह पिछले कुछ वर्षों में किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की पहली पाकिस्तान यात्रा है। एस जयशंकर भारतीय वायुसेना के स्पेशल विमान से इस्लामाबाद के हवाई अड्डे पर उतरे। इसके बाद उनका पाकिस्तान में स्वागत किया गया। उन्होंने एयरपोर्ट पर ही फोटोशूट कराया। जयशंकर ने थोड़ी देर बाद अपने नॉर्मल चश्मे को बदलते हुए काले लेंस का चश्मा पहन लिया और गाड़ी में बैठकर इवेंट स्थल पर रवाना हो गए। पिछले करीब नौ साल में पहली बार भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा की है। दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध कश्मीर मुद्दे पर और पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण बने हुए हैं।
इससे पहले विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान की यात्रा की थी। वह दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में शामिल होने के लिए इस्लामाबाद की यात्रा पर आयी थीं। भारत ने आज कहा कि वह एससीओ की विभिन्न प्रणालियों में सक्रियता से शामिल है। पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ के शासन प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) के दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘एससीओ सीएचजी की बैठक सालाना होती है और इसमें संगठन के व्यापार तथा आर्थिक एजेंडा पर ध्यान दिया जाता है।” उसने कहा, ‘‘सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत एससीओ की रूपरेखा के तहत अनेक प्रणालियों एवं पहल समेत इसके प्रारूप में सक्रियता से शामिल है।”
मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि जयशंकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से आयोजित रात्रि भोज समारोह में शामिल हो सकते हैं। शरीफ एससीओ के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत करने के लिए उन्हें रात्रि भोज देंगे। दोनों पक्षों ने पहले ही एससीओ के शासन प्रमुखों के शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच किसी भी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना से इनकार कर दिया है।
जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है और इसे नई दिल्ली की ओर से एक अहम निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने हाल में एक समारोह में अपने संबोधन में कहा था, ‘‘भारत किसी भी पड़ोसी की तरह निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा।” जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन सीमापार आतंकवाद पर ध्यान नहीं देकर और ख्याली पुलाव बनाकर ऐसा नहीं किया जा सकता।” वरिष्ठ मंत्री को भेजने के निर्णय को एससीओ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाने के रूप में देखा जा रहा है।