देश भर में लगातार हो रही ‘डिजिटल अरेस्ट’ की वारदात साइबर पुलिस के लिए सिर दर्द बनी हुई है, लेकिन डिजिटल अरेस्ट कैसे हो रहा है, कैसे साइबर अपराधी पुलिस बनकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. ऐसे साइबर अपराधी, जो डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी करते हैं, उनका वीडियो मोबाइल में कैद हुआ है.
दिल्ली के रहने वाले साइबर एक्सपर्ट मोहित यादव के पास एक डिजिटल अरेस्ट की कॉल आई. मोहित को अपने जाल में फंसाने के लिए जालसाज बाकायदा पुलिस अधिकारी की वर्दी पहनकर बैठा था. कॉल रिसीव करते ही पैसों के लिए डराना शुरू कर दिया, लेकिन मोहित ने उसकी सारी हरकत अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर ली.
मोहित के पास कॉल करने वाले जालसाज ने कहा कि आपके आधार और मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल हुआ है. आपका नंबर बंद होने वाला है. जालसाज ने एक नंबर दिया और कहा कि इस पर बात कर लीजिए. जब मोहित ने उस नंबर पर फोन कर बात की तो जैसे किसी कॉल सेंटर की आवाज लग रही थी. जालसाज ने फोन उठाते ही कहा कि आपकी आईडी से दूसरा नंबर लिया गया, जिसकी 17 शिकायत है और एक एफआईआर दर्ज है.
पुलिस की वर्दी में बैठा जालसाज
आज आपका नंबर बंद हो जाएगा. फिर उधर से वीडियो कॉल आती है. सामने एक पुलिस वाला बैठा हुआ था. उसे देखकर लग रहा था कि जैसे थाने में बैठा हो. पीछे पुलिस का बड़ा सा लोगो लगा था. आमतौर पर ऐसे ही लोगो थानों में लगा रहता है. फिर वो पुलिस वाला जो खुद को लोक मान्य तिलक थाने का अधिकारी बता रहा था, उसने मोहित से कहा कि अगर उसे शक है कि वो थाने से नहीं है तो वो गूगल पर जाए औऱ लोक मान्य तिलक लैंडलाइन कांटेक्ट नंबर टाइप करे और जो नंबर आया उसे मिला ले.
आपका केस कोर्ट की वेबसाइट पर दिखेगा
दरअसल, पुलिस की वर्दी में बैठा ठग मोहित को डराने के साथ कुछ ऐसा कर रहा था कि उस पर सामने वाले को शक न हो. इसमें सबसे पहले वह कहता है कि जो थाने का कांटेक्ट नंबर है, वो गूगल पर है. जिस केस में आपको फंसाने की बात होगी वो बड़ा और नमी केस होगा, जो गूगल पर होगा. आपके पास लिंक भेजा जाएगा, जिसे ओपेन करने पर सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट खुलेगी. यहां केस नंबर डालने पर अटेस्ट वारंट दिखेगा.
मोहित चूंकि साइबर एक्सपर्ट हैं तो वह सबकुछ समझ रहे थे. उन्होंने कहा कि यहां तक आते-आते ज्यादातर लोग इनकी साजिश में फंस चुके होते हैं और फिर वो अपना सब कुछ गवां देते हैं. जब तक सामने वाला ये समझ पाता है कि उसके साथ ठगी हुई है, तब तक देर हो चुकी होती है, लेकिन मोहित की सावधानी और जागरूकता ने उन्हें बचा लिया.
जानिए पुलिस वाला बनकर कैसे डराते हैं डिजिटल अरेस्ट की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी?
- पहला सवाल- नाम क्या है तुम्हारा?
- दूसरा सवाल- आधार नंबर दो
- तीसरा सवाल- परिवार मे कितने लोग हैं?
- चौथा सवाल- बैंक एकाउंट कितने हैं?
- पांचवा सवाल- उसमें कितना पैसा है?
- छठा सवाल- कमाते कितना हो?
- सातवां सवाल- पूरा पड़ता है?
ये बेसिक सवाल हैं, जो डिजिटल अरेस्ट से पहले पूछे जाते हैं और मोहित से पूछे गए. एक बार आप इन सवालों के सही जवाब देते हैं तो फिर वो आपका प्रोफाइल बनाते हैं. अगर आप कह देते हैं कि पैसे नहीं है, एकाउंट खाली है तो उसका स्क्रीन शॉट दिखाने को कहा जाएगाय अगर आपके एकाउंट में सच मे पैसा नहीं है तो खेल तुरंत खत्म हो जाएगा, लेकिन उन्हें लगा कि आपके पास पैसे हैं तो ये शुरुआत है.
पहली बार में मांगे 85 हजार रुपए
इसके बाद ये लोग सबसे पहले आपको डराने का काम करेंगे. ये लोग पहले डराते हैं, फिर खुद कहेंगे लग रहा है कि आप बेकसूर हैं, लेकिन आपके नाम का वारेंट है. डिजिटल अटेस्ट तो आप हैं, लेकिन आप कभी भी गिरफ्तार किए जा सकते हैं. आपके घर अधिकारी जा सकते हैं. इसके बाद आपके प्रोफाइल के हिसाब से केस ऊपर प्राथमिकता में आए इसकी फीस 85 हजार बताई गई. अब मोहित जानते थे कि ये ठगों की साजिश है, इसलिए ये लोग कॉल डिसकनेक्ट कर दिए. दरअसल, मोहित ने जब अपने मोबाइल से खुद वीडियो बनाने की कोशिश की तो गाली देते हुए उसने कॉल काट दी.