MP High Court ने डीजे की तेज आवाज से हार्ट अटैक के खतरे को लेकर मांगा जवाब… ध्वनि प्रदूषण से ब्लड प्रेशर बढ़ता है
जबलपुर। नाना देशमुख वेटनरी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति गोविंद प्रसाद मिश्रा, सेवानिवृत्त आईएएफ अधिकारी आरपी श्रीवास्तव सहित अन्य चार की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि शादियों व धार्मिक आयोजन के दौरान बहुत तेज आवाज में डीजे बजाए जाते हैं।
75 डेसिबल आवाज की तीव्रता सहन कर सकता
मानव शरीर 75 डेसिबल आवाज की तीव्रता सहन कर सकता है। इसके अधिक आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आते है। डीजे की तीव्रता 100 डेसिबल से अधिक होती है। जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
तेज आवाज से हार्ट अटैक आता या ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है
डीजे के तेज आवाज के कारण लोगों को हार्ट अटैक आते या उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसके अलावा तेज आवाज के कारण लोग बहरे हो रहे है। तेज आवाज में डीजे बजने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पडता है।
सड़क टैक्सी व आटो के लिए अवैध पार्किंग स्थल बन गई है
याचिका में शहर की माडल रोड में अवैध पार्किंग का मामला भी उठाया गया था। याचिका में कहा गया था कि इस सड़क का नामकरण इस उद्देश्य के साथ किया गया था कि यह शहर की आदर्श रोड बने। इसके विपरीत सड़क टैक्सी व आटो के लिए अवैध पार्किंग स्थल बन गई है।
ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या, विपरीत असर मानव जीवन पर पड़ रहा
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए युगलपीठ को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी ध्वनि प्रदूषण को गंभीर समस्या माना है। जिसका विपरीत असर मानव जीवन पर पड़ रहा है और वह बीमारियों का शिकार हो रहे है।
याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है
मॉडर लोग लोगों की आवाजाही के लिए सड़क नहीं अवैध पार्किंग स्थल बन गया है। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने केन्द्र सरकार,प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड,कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक,निगमायुक्त तथा यातायात पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
लगभग साठ दुकान है, परंतु पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं
माडल रोड में दवा बाजार स्थित है, जिसमें लगभग साठ दुकान है, परंतु पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण दुकान संचालक व उनके कर्मचारी तथा आने वाले ग्राहक सड़क पर पार्किंग करते है। इसके अलावा माडल रोड के कोई ऐसे प्रतिष्ठान हैं, जिसमें पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।