मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ध्वनि प्रदूषण को लेकर एक याचिका दायर कर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस याचिका में दावा किया गया है कि तेज आवाज वाले डीजे से लोगों को हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. याचिका में धार्मिक त्योहारों, शादी-विवाह और अन्य सार्वजनिक आयोजनों में डीजे की तेज आवाज के उपयोग को चुनौती दी गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार सहित प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की पीठ ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब देने के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. याचिका में विशेष रूप से 75 डेसिबल से अधिक तीव्रता वाली ध्वनि को मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि 75 डेसिबल से अधिक की ध्वनि सीमा पार करने पर न केवल कानों पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इससे उच्च रक्तचाप, तनाव और यहां तक कि हृदय संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं.
शहर में जितने भी धार्मिक आयोजन होते हैं सभी में डीजे की तीव्रता 100 से ऊपर होती है. जिसकी वजह से छोटे बच्चों से लेकर बूढ़े लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. याचिका में कहा गया है कि 12 महीना में 10 महीने त्योहार चलते हैं. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि तेज आवाज के कारण नींद में खलल पड़ता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. विशेष रूप से, बुजुर्ग और बीमार लोग इसका अधिक शिकार होते हैं.
13 वर्षीय बच्चे की हो चुकी है मौत
याचिका जबलपुर के वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गोविंद प्रसाद मिश्रा एवं 100 वर्षीय रिटायर्ड भारतीय वायुसेना के अधिकारी आरपी श्रीवास्तव और दो अन्य लोगों ने दायर की थी. याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि ध्वनि प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए कानून और नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य संघी के द्वारा इस पर पक्ष रखा गया. उन्होंने कोर्ट को उदाहरण देते हुए बताया कि भोपाल में बीते दिन नवरात्रि में तेज आवाज की वजह से 13 वर्षीय समर बिल्लोरे नाम के बच्चे की मौत हो गई थी जिसमें ये निकल कर सामने आया था कि उसकी मौत तेज ध्वनि प्रदूषण की वजह से हुई. जिस वक्त बच्चे की मौत हुई थी उस वक्त ध्वनि डेसिबल 104 थी जिसका उदाहरण भी कोर्ट के सामने रखा गया.
कोर्ट ने चार हफ्ते में मांगा जवाब
हाई कोर्ट की इस सुनवाई में डीजे की उपयोगिता पर उठाए गए सवालों को गंभीरता से लिया गया. ध्वनि प्रदूषण की समस्या पर ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. याचिका में यह मांग की गई है कि सार्वजनिक आयोजनों में डीजे के उपयोग को सीमित किया जाए और ध्वनि की तीव्रता को नियंत्रित किया जाए. जिससे आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके. अदालत ने सभी संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है और चार हफ्ते बाद इस मामले की अगली सुनवाई करने की बात कही है.