केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मुस्लिम बहुल मलप्पुरम को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधा है. मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) पर तीखा निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी मलप्पुरम जिले को गलत तरीके से पेश कर रहा है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी भी इस विमर्श का समर्थन कर रही है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम बहुल मलप्पुरम जिले के बारे में अपनी पहले की विवादास्पद टिप्पणी को लेकर स्थिति साफ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन मुद्दों को एक विशिष्ट समुदाय से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन सरकार उस दृष्टिकोण का समर्थन नहीं करेगी. सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने जनसंघ के साथ मिलकर मलप्पुरम जिले के गठन का विरोध किया था और इसे ‘छोटा पाकिस्तान’ तक कह दिया था. हालांकि, मलप्पुरम जिले की स्थापना के एलडीएफ के फैसले को मान्यता मिली है.
सीएम बोले- एलडीएफ सांप्रदायिकता पर समझौता नहीं करता
मुख्यमंत्री विजयन ने अपने भाषण में कहा कि केरल देश के कई अन्य राज्यों के विपरीत सांप्रदायिक दंगों से मुक्त राज्य है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एलडीएफ सांप्रदायिकता पर समझौता नहीं करता है, जबकि कई राज्यों में सत्ता में बैठे लोग ऐसी अशांति का समर्थन करते हैं. एलडीएफ सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, एक ऐसा रुख जिसका न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी दावा कर सकती है.
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की आलोचना की और उस पर धर्मनिरपेक्षता का दावा करते हुए हिंदुत्व के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया. सीएम ने विपक्ष के नेता वी डी सतीशन और केरल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य में इसके एक नेता ने कहा कि उन्होंने RSS शाखाओं की रक्षा की है, जबकि दूसरे ने गोलवलकर की तस्वीर के सामने दीया जलाया.
इशारों ही इशारों में त्रिशूर सीट को लेकर साधा निशाना
सीएम ने आरोप लगाया कि 1959 के चुनावों में कांग्रेस ने पट्टांबी में ईएमएस को हराने के लिए जनसंघ के साथ गठबंधन किया था, लेकिन वह जीत गए. उन्होंने कहा कि हाल ही में त्रिशूर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 87000 मतों का नुकसान हुआ, जबकि एलडीएफ को पिछले चुनाव की तुलना में 16000 वोट अधिक मिले. कांग्रेस के वोट कहां गए? उनका परोक्ष तौर पर इशारा त्रिशूर सीट से बीजेपी उम्मीदवार सुरेश गोपी की जीत की ओर था, जिसमें उन्होंने वाम और कांग्रेस को हराया.
कब हुआ था मलप्पुरम जिले का गठन?
मलप्पुरम जिले का गठन 16 जून 1969 को मार्क्सवादी नेता ईएमएस नंबूदरीपाद की सरकार के दौरान हुआ था. जिले के गठन का मुख्य उद्देश्य कोझिकोड जिले की विशालता की समस्या को कम करना और अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना था.