भोपाल। शहर के भीतर दस रूटों पर चलने वाली 149 सिटी बसों के पहिए पिछले पांच महीने से थमे हुए हैं। इसके चलते रोजाना पचास हजार से अधिक बस यात्री लंबे समय से परेशान हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बसों के पहियों के थम जाने से बसों के चालक और परिचालक बेरोजगार हो गए हैं। जिनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा है। दीपावली के इस त्योहार में उक्त बस के चालक और परिचालकों के चेहरों पर उदासी छाई हुई है।
वहीं जिन दस रूटों में यह बसें चलती थी, उन रूट के यात्रियों हर दिन मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) बसों के संचालन के लिए तीन बार निविदा जारी की, लेकिन अब तक किसी भी एजेंसी ने निविदा में टेंडर नहीं डाला। यह देखकर कहना गलत नहीं होगा कि बागसेवनिया डिपो में खड़ी बसों के चलने की कोई उम्मीद फिलहाल तो नजर नहीं आ रही।
इन दस रूटों नहीं चल रही बसें
रूट क्रमांक 115, 113, 116, 205, 204, 208, एसआर-8, टीआर-1, 311 और 106 रूट पर चलने वाली बसें पिछले दस महीने से नहीं चल रही हैं। इसके चलते गांधी नगर, एयरपोर्ट, मिसरोद, लालघाटी, कोकता, मंडीदीप, भौंरी, अयोध्या नगर, करोंद, बैरागढ़ समेत कई जगहों के यात्रियों को हर दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यूनियन का संचालन का जिम्मा देने की मांग
भोपाल सिटी यान चालक-परिचालक ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष अजीज खान ने बताया कि डेढ़ सौ चालक डेढ़ सौ परिचालक भुखमरी का शिकार है। इतना बड़ा शहर है किसी को इन 149 बसों की याद नहीं आ रही है। निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायन को भी ज्ञापन दे चुके हैं।
शहर में जब कोई टेंडर नहीं ले रहा है तो यूनियन के हवाले कर देना उचित होगा। चालक, परिचालक की हालत खराब है वे बेरोजगार बैठे हैं, बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है, वहीं दूसरी ओर जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।