ग्वालियर: नगर निगम और प्रशासन स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारियों में जुटा हुआ है, लेकिन शहर की सुंदरता को सबसे बड़ा दाग शराब की दुकानें लगा रही हैं। इन दुकानों के बाहर और आसपास ठेले, गुमटी वालों के यहां रात भर में कचरे का ढेर लग जाता है। यह वजन में तो अधिक नहीं होता, लेकिन सड़क पर फैलने के बाद सुंदरता को बिगाड़ने में अहम रोल अदा करता है।
इतना ही नहीं इलाके की नालियां और सीवर चाक होने का भी मुख्य कारण यहां से निकलने वाला कचरा ही होता है। जिले में प्रतिदिन करीब 450-500 टन कचरा निकलता है, जिसमें से करीब 1 टन कचरा तो शराब दुकानों के कारण फैलता है। दरअसल इस कचरे में प्लास्टिक पाउच, पानी की बोतलें, नमकीन के खाली पाउच शामिल होते हैं। लोग रात में शराब दुकानों के बाहर या गुमटी, ठेलों पर खड़े होकर शराब पीते हैं और कचरा सड़क और नालियों में फेंक जाते हैं।
यहां सिंगल यूज प्लास्टिक का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। खास बात ये है कि शराब दुकानदारों के लिए नियम था कि यह अपनी दुकान के बाहर बड़े वाले डस्टबिन मय स्टैंड के लगाएंगे, लेकिन वतर्मान में कुछ एक दुकानों को छोड़ दें तो कहीं भी स्टैंड वाले डस्टबिन दिखाई नहीं देते हैं। उधर, रात में फैलाया कचरा सुबह तक सड़कों पर ढेर के रूप में दिखाई देता है।
स्थान: भगवान कालोनी
समय: सुबह 9 बजे
स्थिति: यहां शराब दुकान के बाहर प्लास्टिक के गिलास, पानी के पाउच के खाली पैकेट, पानी की खाली बोतलें जगह-जगह फैली दिखाई दीं। जिससे आसपास हर तरफ गंदगी पसरी थी। यह कचरा नालियों को भी चाक कर रहा था।
स्थान: सात नंबर चौराहा मुरार
समय: सुबह 8.30
स्थिति: दुकान के बाहर ही हर तरफ कचरा फैला दिखाई दे रहा था। हर तरफ प्लास्टिक पाउच, बोतल और खाली गिलास फैले थे। मार्निंग वाक पर जाने वालों को भी यहां से नाक पर रूमाल रखकर निकलना पड़ता है।
कुछ कर्मचारी भी मददगार
शराब दुकानों के बाहर कचरा नहीं दिखाई दे, इसके लिए कुछ शराब दुकानदार इलाके के सफाई कर्मचारियों को पैसा भी देते हैं। जिससे दुकानों के सामने सुबह कचरा दिखाई नहीं देता है। हालांकि ऐसा भी कुछ ही दुकानदारों द्वारा किया जाता है। वहीं अन्य दुकानों के आसपास सुबह कचरे का ढेर लगा दिखाई देता है। क्योंकि आसपास खुली गुमटियों, ठेलों या दुकानों के बाहर सुबह सफाई नहीं होती है।