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किराये के लड़ाके भर्ती करने में लगा इजराइल, लड़ते-लड़ते अपनी सेना पड़ गई पस्त!

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पिछले एक साल से जारी गाजा जंग लड़ते लड़ते इजराइली सेना के हौसले पस्त हो चुके हैं. कई इजराइली सैनिक जंग के मैदान से भागने लगे हैं, वहीं रिजर्विस्ट सैनिक भी जंग में कूदने से इंकार करने लगे हैं. अब इजराइल अपनी सेना में विदेशी लड़ाके भी भर्ती करने लगा है और इसके लिए वे लड़ाकों को कई तरह के लालच भी दे रहा है.

इजराइली के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 7 अक्टूबर के बाद से इजराइल के लगभग 12 हजार सैनिक घायल हुए हैं और 760 से ज्यादा मारे गए हैं. जबकि जानकारों को मानना है कि ये संख्या और ज्यादा है. घायलों में 140 सैनिक ऐसे हैं, जो अब कभी बिना सहारे के चल नहीं पाएंगे. इन आंकड़ों की वजह से राजनीतिक रूप से विभाजित इजराइलियों में संदेह बढ़ रहा है कि नेतन्याहू के जंग जीतने के दावे कितने सही हैं.

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सैनिकों की हुई भारी कमी

इजराइल इस समय गाजा और लेबनान में सीधे लड़ाई लड़ रहा है. वहीं हूती और इराकी मिलिशिया भी आए दिन हमले कर रहे हैं. वहीं ईरान के साथ भी सीधी जंग का खतरा बना हुआ है. खबरों के मुताबिक इजराइल इस समय 10 हजार सैनिकों की कमी का सामना कर रहा है, इस कमी को पूरा करने के लिए इजराइल अब अपरंपरागत स्रोतों का सहारा ले रहा है.

सेना भर्ती के बदले नागरिकता

इजराइली अखबार हारेत्ज़ की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली सरकार ने एक भर्ती अभियान शुरू किया है, जिसके तहत अफ़्रीकी शरणार्थियों को गाजा में लड़ने भेजने के बदले में स्थायी निवास की पेशकश की जाएगी.

इस योजना का मकसद लगभग 10 हजार सैनिकों की कमी को पूरा करना है, जिसका जिम्मेदारी स्थानीय अधिकारियों को दी गई है, जो भर्ती के लिए ऐसे शरणार्थियों की पहचान करेंगे. इजराइली सेना और आंतरिक मंत्रालय की ओर से इन शरणार्थियों को जंग की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके अलावा विदेशों से भी लड़ाकों को भर्ती किया जा रहा है.

यूरोप और जर्मनी से आ रहे लड़ाके

इजराइल जर्मन खुफिया और ज़ायोनी समूहों के साथ मिलकर अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया से जर्मनी आए शरणार्थियों को भाड़े के सैनिकों के रूप में भर्ती कर रहा है, इसके बदले उन्हें फास्ट-ट्रैक नागरिकता और 4 हजार से 5 हजार यूरो प्रति माह वेतन की पेशकश की जा रही है.

वहीं यूरोप से भी इजराइल अमेरिका की मिलिट्री कंपनी ब्लैकवॉटर की मदद से लड़ाके भर्ती कर रहा है.

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