प्रदेश में मेहमान बनकर आए हाथियों को बोझ मानना ही पड़ गया भारी, पर सरकार ने इसके लिए कभी बजट ही नहीं दिया…
जबलपुर। हमेशा अपने बाघों को लेकर चर्चा में रहने वाला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व इन दिनों हाथियों की मौत को लेकर सुर्खियों में है। करीब छह साल पहले बांधवगढ़ में हाथी मेहमान बनकर आए थे। यहां वातावरण उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे अपना नया घर ही बना लिया।
वर्ष 2018 में बसने की नीयत से मध्य प्रदेश पहुंचा था
दुनिया का सबसे बड़ा गार्डनर हाथी जब वर्ष 2018 में बसने की नीयत से मध्य प्रदेश पहुंचा तो आम ग्रामीणों, किसानों की तरह ही वन अधिकारियों ने भी उसे अपने लिए संकट ही महसूस किया।
गांव के लोगों को भी हाथियों के साथ रहने की आदत डालनी होगी
जंगलों के आसपास बसने वालों के लिए जब हाथी समस्या बनने लगे तो प्रदेश के वन अधिकारियों को बताया गया कि न सिर्फ उन्हें बल्कि गांव के लोगों को भी हाथियों के साथ रहने की आदत डालनी होगी।
अधिकारियों का रुख भी हाथियों के प्रति सकारात्मक नहीं रहता है
- पिछले छह सालों में कुछ हद तक इस बात को वन अधिकारी तो समझने लगे।
- अभी भी वन अधिकारी गांव के लोगों को यह जरूरी बात नहीं समझा सके हैं।
- मुख्य वजह सरकार का सारा फोकस और बजट प्रोजेक्ट टाइगर के लिए होता है।
- इसी कारण अधिकारियों का रूख भी हाथियों के प्रति सकारात्मक नहीं रहता है।
संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी वन विभाग की ही होती है
जब पार्क प्रबंधन प्रोजेक्ट टाइगर के लिए जंगल से लगे गांवों में मवेशियों का टीकाकरण कराता है तो निश्चित तौर पर जंगल से लगे खेतों में होने वाली फसलों को भी इस तरह के संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी वन विभाग की ही होती है।