सोने की शुद्धता को परखने के लिए सरकार ने आभूषणों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य की थी. ये नियम सरकार ने जून 2021 से लागू किया था. इसके बाद सोने की ज्वैलरी खरीदने वाले कस्टमर ने राहत की सांस ली. सोने की ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग लागू होने से पहले कस्टमर के साथ खेल हो जाता था, जिसमें ज्वैलरी शॉप वाले अपने आभूषणों को 24 कैरेट का बताते थे, लेकिन वास्तविकता में ये 21 या 22 कैरेट के ही होते थे.
ठीक इसी तरीके से हीरा खरीदने वालों के साथ होता है. इससे बचाव के लिए जल्द ही केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) हीरे के लिए क्लियर लेबलिंग और सर्टिफिकेशन का नियम बनाने वाला है. इसके बाद हीरा खरीदने वाले कस्टमर बिना किसी डर के हीरा खरीद सकेंगे.
हीरा के लिए आएंगे ये नियम
CCPA के मुख्य आयुक्त निधि खरे की अध्यक्षता में प्रमुख स्टेकहोल्डर्स और एक्सपर्ट्स की मीटिंग हुई, जिसके बाद कहा गया कि CCPA जल्द ही हीरा बिजनेस में पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ता संरक्षण के लिए गाइडलाइंस लाएगा.
कैसे कस्टमर से होती है ठगी
हीरा बनने का प्रोसेस बहुत लंबा होता है और हीरा की डिमांड भी ज्यादा होती है. इसी का फायदा उठाने के लिए कुछ लोग सिंथेटिक हीरे सेल करते हैं. जबकि ज्वैलरी शॉप वाले इसके बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं. ऐसी स्थिति में कस्टमर को जब इस बारे में पता चलता है तो वो अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं.
हीरे की गाइडलाइन में क्या हो सकता है?
CCPA हीरे की सेल के लिए जो गाइड लाइन बनेगी, उसमें सोने की ज्वैलरी के हॉलमार्किंग सिस्टम की तरह सर्टिफिकेशन लागू कर सकता है. इसके साथ ही सिंथेटिक हीरे के बारे में कस्टमर को स्पष्ट बताना होगा. जिसके लिए CCPA लेबलिंग सिस्टम भी लागू कर सकता है. इसके बाद जब भी आप ज्वैलरी शॉप से हीरा खरीदेंगे तो आपको सिंथेटिक हीरे को लेकर डर नहीं सताएगा.