जबलपुर। छिंदवाड़ा के पोआमा वानिकी अनुसंधान केंद्र व परासिया में तेंदुए की दस्तक से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। मोरडोंगरी खुर्द में चेतन पवार के खेत में सुबह बाघ के पंजे के निशान गीली जमीन पर देखे गए। वहीं दमोह के नाला व्यारमा नदी से जुड़ा हुआ है अधिक बरसात होने पर मगरमच्छ नाले में आ जाते हैं जैसे ही नाला खाली होने लगता है तो यह मगरमच्छ मिलते हैं।
ग्रामीणों को खेत में दिखा मगरमच्छ, वन विभाग ने रेस्क्यू कर पकड़ा
दमोह के वन परिक्षेत्र झलौन अंतर्गत शनिवार रात ग्राम गुहंची के समीप नाले के पास एक खेत में मगरमच्छ मिलने की सूचना प्राप्त हुई थी। जिसके बाद तुरंत वन विभाग की टीम ने पहुंचकर निरीक्षण किया और पर्याप्त साधन जुटाकर रेस्क्यू कर सफलता पूर्वक पकड़ा। पास में ही वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र अंतर्गत व्यारमा नदी में सुरक्षित छोड़ गया।
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व रात्रि गश्ती टीम ने छोड़ा
नाला व्यारमा नदी में मगरमच्छ भी सुरक्षित है। मगरमच्छ रेस्क्यू के दौरान भगवान दास विश्वकर्मा वनपाल, शंकर सिंह ठाकुर वनपाल, शुभम सिंह वनरक्षक, बाबूलाल रैकवार, उत्तम सिंह चौकीदार आदि की उपस्थिति रही। मगरमच्छ का सुरक्षित रेस्क्यू करते करने के बाद उसे वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व रात्रि गश्ती टीम द्वारा छोड़ा गया।
तेंदुए की दस्तक से दहशत का माहौल बच्चों को बाहर नहीं निकलने की समझाइश
छिंदवाड़ा में तेंदुए का मूवमेंट रिहायशी क्षेत्र में होने के चलते पोआमा क्षेत्र में दिन में भी सन्नाटा रहता है। वनाधिकारियों ने भी लोगों को घरों से अकेले ना निकलने हिदायत दी है। वहीं बच्चों को बाहर खेलने ना भेजने की समझाइश दी गई है।इस बीच वन अमले ने रिहायशी क्षेत्र में गश्त किया। साथ ही वन क्षेत्र में भी तेंदुए की पगमार्क की तलाश की गई।
सुरक्षा की दृष्टि से तेज लाइट के साथ टीम को गश्ती के लिए कहा गया
बीते दिन वनअमले को तेंदुए के मूवमेंट को लेकर कोई खास तथ्य नहीं मिल पाए हैं। छिंदवाड़ा रेंजर पंकज शर्मा ने बताया कि हमारी टीम लगातार गश्ती कर रही है जिसके बाद गुरुवार रात से अब तक तेंदुए का मूवमेंट यहां नहीं हुआ है। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से तेज लाइट के साथ टीम को गश्ती के लिए कहा गया है।
तकरीबन 9 किमी दूर कैमरे लगाकर पिंजरा भी लगाया
तेंदुए को पकड़ने के लिए कैमरे लगाकर पिंजरा भी लगाया गया है।गौर करने वाली बात है कि परासिया रोड स्थित शहर से तकरीबन 9 किमी दूर पोआमा नर्सरी के पास भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद / कौशल केन्द्र के परिसर में तेंदुआ का मूवमेंट बना हुआ है।
खेत में मिले बाघ के पंजे के निशान मरेठ के मोरडोंगरी खुर्द पहुंची वन विभाग और पुलिस की टीम
परासिया के उमरेठ के मोरडोंगरी खुर्द में बाघ ने दस्तक दी है। खेत की गीली जमीन पर बाघ के पंजे के निशान पगमार्क पाए गए। व्यस्क बाघ के पंजे के निशान मिलने की सूचना वन विभाग और पुलिस को दी गई। दोपहर में वन विभाग और पुलिस की टीम खेत में पहुंची और पंजे के निशान के सैंपल लिए। पगमार्क का मिलान किया जा रहा है। बाघ के पगमार्क रिहायशी क्षेत्र में मिले हैं।
वन विभाग के सांवरी रेंज के मोरडोंगरी सर्किल में आता ये इलाका
मोरडोंगरी खुर्द में चेतन पवार के खेत में सुबह बाघ के पंजे के निशान गीली जमीन पर देखे गए। इसके बाद वन विभाग और पुलिस को सूचना दी गई। खेत मोरडोंगरी खुर्द में है। वन विभाग के सांवरी रेंज के मोरडोंगरी सर्किल में ये इलाका आता है।
सूचना मिलने के बाद मोरडोंगरी सर्किल के डिप्टी रेंजर मौके पर पहुंचे
सूचना मिलने के बाद मोरडोंगरी सर्किल के डिप्टी रेंजर एसएस मिश्रा, वन रक्षक स्नेहा बेले, सौरभ सिंह चौहान, रविंद्र सोनी, शैलेंद्र वाडीवार और उमरेठ थाने से एएसआई नीतेश ठाकुर मौके पर पहुंचे। रेंजर कीर्ती बाला गुप्ता भी बाद में मोरडोंगरी पहुंचीं। मोरडोंगरी खुर्द में शांता पवार का खेत है। इसके समीप चेतन पवार का खेत है।
जिस जगह पर निशान मिले, वहां खेत से लगा नाला है जो पटपडा तक गया
चेतन पवार ने वन विभाग की टीम को बताया कि रात में डेढ बजे कुत्तों के भोंकने की आवाज आई। उनके कोठे में मवेशी बंधे हुए है। रात में वे बाहर निकले। कुछ नहीं दिखा तो सो गए। सुबह खेत में मोटर चालू करने के लिए गए। मोबाइल पर बात करते समय बडे बडे पंजे के निशान दिखे। इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। जिस जगह पर निशान मिले वहां खेत से लगा नाला है जो पटपडा तक गया है।
जहां जगह ज्यादा गीली है वहा यह 17 बाई 17 सेमी के भी हैं
नाला नीमकुही तरफ से आया है। मोरडोंगरी खुर्द में मिठाई वाला अमरलाल है। उस ओर से बाघ के खेत में आने के निशान मिले हैं। 14 से 15 सेंमी के है पंजे के निशानखेत में मिले पगमार्क चौदह से पंद्रह सेमी के है। कुछ जगह यह 11 बाई 12 सेमी के है। जहां जगह ज्यादा गीली है वहा यह 17 बाई 17 सेमी के भी हैं।
वन विभाग ने प्लास्टर आफ पैरिस से पगमार्क लिए हैं
बाघ को लेकर जानकारी जुटाई जा रही है। नागरिकों को रात में नहीं निकलने की सलाह दीडिप्टी रेंजर एसएस मिश्रा ने बताया कि नागरिकों को रात में नहीं निकलने और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। लोगों को सचेत किया गया है। आसपास वाले खेत ,मकान वाले रात में निकले । मवेशियों के कोठे के सामने अलाव जलाकर रखने की सलाह दी गई है।
बरही क्षेत्र में बढ़ी बाघों की चहलकदमी, दहशत में ग्रामीण
कटनी में बांधवगढ़ की सीमा से लगे गांवों में बाघों की चहलकदमी फिर से बढ़ गई है। रोजाना लोगों को सड़क किनारे व बस्ती से लगे खेतों में बाघ नजर आ रहे हैं। रविवार को बफर जोन के जाजागढ़ में एक बाघ ने बाड़े में घुसकर मवेशी का शिकार किया और उसे बस्ती से बाहर खींचकर ले ले गया। ग्रामीणों में दहशत फैल गई और गांव के लोगों ने वन विभाग को सूचना दी। रेंजर सहित वन अमला गांव पहुंचा और ग्रामीणों को खेतों की ओर न जाने की सलाह दी गई है।
मवेशी का शिकार किया और उसको उठाकर गांव से बाहर ले गया
जाजागढ़ में रविवार को एक बाघ ने गांव के किसान पवन चौधरी के बाड़े से एक मवेशी का शिकार किया और उसको उठाकर गांव से बाहर ले गया। बाघ की आवाज सुनकर ग्रामीणों की भीड़ लग गई। ग्रामीणों को देखकर बाघ मवेशी को छोड़कर जंगल की ओर चला गया। ग्रामीणों ने घटना की जानकारी वन विभाग को दी। जिसमें रेंजर गोविंद नारायण शर्मा सहित बीट गार्ड व अमला गांव पहुंचा और स्थल का निरीक्षण किया।
बाघ सड़क किनारे गाय का शिकार कर उसे खाते नजर आया था
साथ ही ग्रामीणों को भी खेतों व जंगल की ओर न जाने की समझाइश दी। बाघ के गांव के नजदीक तक पहुंचने से ग्रामीण दहशत में रहे। एक दिन पहले कुआं में दिखा शनिवार को बड़वारा वन परिक्षेत्र के बरही से लगी कुआं बीट में बाघ सड़क किनारे गाय का शिकार कर उसे खाते नजर आया था। नजदीक से गुजर रहे लोग दहशत में आ गए थे और वाहनों की भी आवाजाही थम गई थी।
कुआं बीट व जाजागढ़ में मवेशी का शिकार करने वाले बाघ अलग-अलग
लोगों ने बाघ के वीडियो बनाकर भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किए थे। जिसके बाद वन अमले ने पहुंचकर स्थल का मुआयना किया था और बाघ के मूवमेंट पर कुआं बीट में लगातार नजर रखी जा रही है। दाेनों ही अलग-अलग शनिवार को कुआं बीट में दिखे बाघ व जाजागढ़ में मवेशी का शिकार करने वाले बाघ अलग-अलग बताए जा रहे हैं।
आठ से दस बाघों की चहलकदमी यहां पर हमेशा बनी रहती
वन अमले के अनुसार कुआं क्षेत्र में वर्तमान में दो बाघ डेरा जमाए हुए हैं। वहीं जाजागढ़ में शिकार करने वाला बाघ अलग है। कुआं, करेला, जाजागढ़, खितौली, सलैया सहित एक दर्जन गांव बांधवगढ़ की सीमा से लगे हुए हैं और इसके चलते आठ से दस बाघों की चहलकदमी यहां पर हमेशा बनी रहती है।