जबलपुर। पुलिस ने दो दिन पहले गोसलपुर रेलवे स्टेशन के पास से एक युवक को गिरफ्तार किया। वह रायपुर से आ रहा था। वह ट्रेन से ट्राली बैग में गांजा छिपाकर ला रहा था। कुछ दिन पहले सिवनी से आ रही बस का एक यात्री चरगवां मोड़ पर उतरा। पुलिस ने उसके ट्राली बैग की तलाशी ली तो उसमें गांजा निकला। यह उदाहरण है तस्करों के बदलते पैंतरे के, जो कि पुलिस का शिकंजा कसने से सीधे नगर में प्रवेश नहीं कर रहे हैं।
एक सप्ताह से मादक पदार्थों के कारोबारी और तस्कर निशाने पर
आसपास के छोटे और अपेक्षाकृत कम निगरानी वाले रेलवे स्टेशन और सड़क किनारे अन्य स्थानों से मादक पदार्थों की आपूर्ति कर रहे हैं। गत एक सप्ताह से पुलिस ने मादक पदार्थों के कारोबारी और तस्कर निशाने पर लिया हुआ है।
गांवों से मादक पदार्थों की तस्करी कर पुलिस को दे रहे चकमा
सघन जांच और कार्रवाई से असामाजिक तत्वों ने तस्करी के मार्ग के साथ ही पुराने ठिकानों को बदलना शुरू कर दिया है। आसपास के जिलों की सीमा से लगे गांवों से मादक पदार्थों की तस्करी कर पुलिस को चकमा देने का पैंतरा अपना रहे हैं।
ऐसे कर रहे तस्करी …
- सीधे जबलपुर स्टेशन और बस स्टैंड तक नहीं आ रहे तस्कर।
- गोसलपुर, गौरीघाट, भेड़ाघाट जैसे स्टेशनों पर उतर रहे हैं।
- बस से आने पर तिलवारा, पनागर, कुंडम के पार उतरते हैं।
- नैनपुर के रास्ते ट्रेन से तस्करों का छत्तीसगढ़ तक नया रास्ता।
- छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र के रास्ते ही जिलों तक माल पहुंच रहा है।
- मौका पाकर तस्कर टुकड़ों में मादक पदार्थों की खेप भेज रहे।
छत्तीसगढ़ के रास्ते तस्करी
जिले में गांजा की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। ओडिशा और झारखंड से मध्य प्रदेश आने वाला गांजा छत्तीसगढ़ के रास्ते जबलपुर पहुंचता है। सामान्य रूप से ट्रेन से गांजा की तस्करी होती है। कई बार मुख्य स्टेशन में गांजा की खेप पकड़ी भी जा चुकी है।
छोटे नगरों के तस्करों का जाल सक्रिय
पुलिस की लगातार जांच होने से ट्रेन से गांजा तस्करी करने वालों ने अपना मार्ग बदल लिया है। गांजा तस्कर अब नगरीय सीमा के बाहर के रेलवे स्टेशनों में उतर रहे हैं। आसपास के जिलों के छोटे नगरों के तस्करों का जाल सक्रिय हो गया है। छत्तीसगढ़ से आने वाले गांजा को आसपास के जिलों में उतारकर वहां से बस से आगे आपूर्ति की जा रही है।
नाबालिगों और मजदूरों को जोड़ा
पुलिस की नजर से बचने के लिए नगर में मादक पदार्थों की डिलेवरी के लिए अवैध कारोबारियों ने नए चेहरे तलाश किए हैं। वह नाबालिग और मजदूरों को मोहरा बना रहे हैं। उन्हें दिन में दो से तीन ग्राहक तक मादक पदार्थ पहुंचाने पर तीन सौ से पांच सौ रुपये दे रहे हैं।
स्मैक के लिए हाईटेक तरीका
पुलिस की सघन जांच के बाद स्मैक तस्कर अंडरग्राउंड हो गए हैं, लेकिन ग्राहकों तक अवैध आपूर्ति चोरी-छिपे जा रही है। स्मैक के अवैध कारोबारियों ने अभी हाईटेक तरीका अपना लिया है। वह नए-नए फोन नंबर के माध्यम से ग्राहकों के संपर्क में है।
आनलाइन आर्डर ले रहे हैं
ई-कामर्स कंपनी के डिलेवरी ब्वाय की तरह शातिर अंदाज में नशे की पुड़िया ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं। पुलिस को चकमा देने के लिए फोन नंबर और डिलवेरी ब्वाय भी लगातार बदल रहे हैं। अलग-अलग मादक पदार्थों की तस्करी में एक सप्ताह में जिले में 20 से अधिक आरोपित गिरफ्तार हुए हैं।