महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी की ही बनेगी, लेकिन चेहरे को लेकर सस्पेंस कायम है. दिल्ली से लेकर मुंबई तक कई नाम सीएम पद की दौड़ में शामिल हैं, लेकिन 2014 के बाद मुख्यमंत्री के चयन में जब-जब भी बीजेपी ने 72 घंटे से ज्यादा का वक्त लगाया है, तब-तब सीएम की कुर्सी पर सरप्राइज चेहरे की एंट्री हुई है.
1. 2024 में बीजेपी को ओडिशा में सरकार बनाने का मौका मिला. यहां बीजेपी को सीएम चुनने में 8 दिन का वक्त लग गया. पार्टी ने आखिर में मोहन माझी के नाम पर मुहर लगाई. माझी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
ओडिशा में मुख्यमंत्री पद के लिए धर्मेंद्र प्रधान और मनमोहन सांबल जैसे प्रमुख दावेदार थे, लेकिन मोहन माझी के रूप में सरप्राइज चेहरे की एंट्री हुई.
2. 2023 के आखिर में बीजेपी को राजस्थान की भी सत्ता मिली. यहां भी मुख्यमंत्री पद को लेकर माथापच्ची होने में 9 दिन का वक्त लग गया. आखिर में भजनलाल शर्मा के नाम पर सहमति बनी. पहली बार विधायक चुने गए शर्मा राजस्थान बीजेपी के महासचिव थे. 2023 में राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए वसुंधरा राजे, किरोड़ी लाल मीणा जैसे बड़े दावेदार थे.
3. 2023 में बीजेपी ने मध्य प्रदेश की सत्ता में भी वापसी की. उस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे. चौहान ही सीएम पद के फ्रंटरनर भी थे, लेकिन आखिर वक्त में उनका पत्ता कट गया. शिवराज की जगह मोहन यादव को सीएम की कुर्सी मिली.
मोहन यादव उस वक्त सीएम पद की रेस में भी नहीं थे. मध्य प्रदेश में बीजेपी को मुख्यमंत्री चुनने में 8 दिन का वक्त लगा था.
4. 2023 के आखिर में बीजेपी को छत्तीसगढ़ में जीत मिली. पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए रमन सिंह और अरुण साव जैसे प्रमुख दावेदार थे, लेकिन बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए सीएम की कुर्सी विष्णुदेव साय को सौंप दी.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सीएम चुनने में 7 दिन का वक्त लगा था.
5. 2017 में बीजेपी को देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में जीत हासिल की. सरकार पूर्ण बहुमत की थी, इसलिए सबकी निगाहें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लगी थी. सीएम पद के लिए रेस में मनोज सिन्हा, केशव प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नाम शामिल थे. बीजेपी को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री चुनने में 9 दिन का वक्त लग गया.
जब बीजेपी ने यूपी में सीएम का चेहरा घोषित किया, तो सियासी जानकार चौंक गए. बीजेपी ने तत्कालीन गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी.
6. 2014 में बीजेपी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. शरद पवार की एनसीपी ने उसे बाहर से समर्थन दे दिया. इस साल बीजेपी को सरकार गठन की कवायद में 7 दिन लग गए. दिल्ली से जब राजनाथ सिंह पर्यवेक्षक बनकर गए, तब विधायक दल की बैठक हुई. विधायक दल की मीटिंग में देवेंद्र फडणवीस को नेता चुना गया. फडणवीस उस वक्त बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे.
फडणवीस की एंट्री सरप्राइज चेहरे के तौर पर हुई थी. बीजेपी में उस वक्त नितिन गडकरी, विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे.
7. महाराष्ट्र के साथ हरियाणा का भी रिजल्ट आया था. हरियाणा में भी बीजेपी सत्ता में आई थी. यहां भी सीएम चुनने में बीजेपी को 7 दिन से ज्यादा का वक्त लग गया था. जब सीएम चयन की बारी आई तो मनोहर लाल खट्टर ने अनिल विज और रामविलास शर्मा जैसे नेताओं को पीछे छोड़ दिया. खट्टर की यह सरप्राइज एंट्री थी.
8. 2017 में यूपी के साथ ही उत्तराखंड में भी बीजेपी को जीत मिली थी. मुख्यमंत्री पद के लिए उस वक्त भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूरी और रमेश पोखरियाल निशंक जैसे बड़े नाम रेस में शामिल थे.
बीजेपी को उत्तराखंड में सरकार गठन की कवायद में 8 दिन का वक्त लग गया. चुनाव परिणाम आने के 8 दिन बाद देवभूमि की बागडोर त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंप दी. इस पद पर रावत की एंट्री सरप्राइज थी.
9. 2017 के अंत में हिमाचल में विधानसभा के चुनाव हुए. यहां भी मुख्यमंत्री चुनने में बीजेपी को 7 दिन का वक्त लग गया. दिलचस्प बात है कि यहां जिनके नाम की घोषणा हुई, वो भी सरप्राइज ही थे.
बीजेपी ने प्रेम धूमल, जेपी नड्डा जैसे नेताओं को दरकिनार कर जयराम ठाकुर को सीएम की कुर्सी सौंप दी. ठाकुर 2017 से 2022 तक मुख्यमंत्री रहे.
जहां 72 घंटे से पहले फैसला, वहां चेहरा रिपीट
2019 में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने 72 घंटे से पहले ही मुख्यमंत्री का फैसला कर लिया. उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ही फिर से जिम्मेदारी दी गई. इसी तरह 2022 के गुजरात चुनाव में मुख्यमंत्री चुनने में सिर्फ 48 घंटे का वक्त बीजेपी को लगा.
पार्टी ने गुजरात में भी मुख्यमंत्री को कंटिन्यू रखा. 2021 में त्रिपुरा का रिजल्ट 3 मार्च को आया और पार्टी ने 7 मार्च को माणिक साहा के नाम की घोषणा कर दी.