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पोलिंग बूथ पर वोटरों की संख्या क्यों बढ़ाई गई? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 कर दी गई है. सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में चुनाव आयोग से जवाब मांगा. अदालत ने आयोग के वकील से कहा कि आप जवाब में हलफनामा दाखिल करें.

सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से हलफनामे में यह भी बताने को कहा कि एक पोलिंग बूथ में कितने ईवीएम रहते हैं. अदालत ने चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख तय की है.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पोलिंग बूथ पर संख्या को 1200 से 1500 बढ़ाने से वोटर हतोत्साहित तो नहीं होंगे. इसे लेकर भी स्थिति स्पष्ट करें. सुनवाई के दौरान आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि यह 2019 से है. सभी राजनीतिक दलों से विमर्श करने के बाद निर्णय लिया गया था.

सिंह ने अदालत को बताया कि ईवीएम पर जो आरोप हैं उन्हें आप जानते हैं, वो आते रहेंगे. 2019 से मतदान ऐसे ही हो रहा है, इससे पहले राजनीतिक दलों से सलाह ली जाती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हलफनामा दाखिल करें. हम चिंता बस इतनी है कि मतदाताओं को परेशानी न हो.

विधानसभा चुनाव के बाद फिर उठा ईवीएम का मुद्दा

हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम का मुद्दा एक बार फिर से गरमाया हुआ है. हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने कई ईवीएम की बैटरी को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, चुनाव आयोग ने सभी सवालों का जवाब देते हुए आरोपों को खारिज कर दिया.

इसके बाद अब महाराष्ट्र चुनाव में भी विपक्षी दल ईवीएम को लेकर लामबंद हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि कुछ सीटों पर वोट प्रतिशत में गड़बड़ी की संभावना है. इसके लिए विपक्ष के कई नेताओं ने चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज कराया है.

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