उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है. यूकेपीसीबी ने बताया है कि हरिद्वार में गंगा जल ‘बी’ श्रेणी का पाया गया है, जो नहाने के लिए तो ठीक है, लेकिन पीने योग्य नहीं है. पीसीबी हर महीने गंगा के पानी के नमूने लेकर उनकी जांच करता है. इसी क्रम में पिछले महीने हरिद्वार में पानी की गुणवत्ता की जांच कराई गई थी, जिसमें पानी की गुणवत्ता ‘बी’ श्रेणी में पाई गई है.हरिद्वार में गंगा का जल नहाने के लिए उपयुक्त, पीने योग्य नहीं.
हरिद्वार में गंगा का जल नहाने के लिए उपयुक्त है, लेकिन पीने योग्य नहीं है. पिछले महीने की जांच में गंगा के जल की गुणवत्ता ‘बी’ श्रेणी में पाई गई, जो यह संकेत देती है कि यह पानी पीने के लिए सुरक्षित नहीं है.
अधिकारियों का क्या कहना है?
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि हरिद्वार में गंगा जल की गुणवत्ता मापने के लिए बोर्ड ने 8 स्टेशन तय किए हैं. गंगा के पानी की गुणवत्ता ‘बी’ श्रेणी में मिली है. इस श्रेणी का पानी नहाने के लिए उपयुक्त होता है, लेकिन पीने के लिए नहीं. पीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि हरिद्वार में गंगा का पानी काफी समय से ‘बी’ श्रेणी में रिपोर्ट हो रहा है. अधिकारियों ने बताया कि पहले बिंदु घाट, फिर हर की पैड़ी, ऋषिकुल, बाला कुमारी मंदिर होते हुए, आखिर में जो बॉर्डर है, वहां तक कुल मिलाकर आठ प्वाइंट हैं जहां पानी की गुणवत्ता की जांच की जाती है.
किस आधार पर तय होती है श्रेणी?
गंगा के पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के पानी को पांच वर्गों (A, B, C, D, E) में बांटा है. पैरामीटर के आधार पर, ‘B’ का मतलब है कि वह नहाने के लिए उपयुक्त है. गंगा जल की गुणवत्ता ‘B’ श्रेणी में पाई गई है. पानी किस श्रेणी में रखा जाएगा, इसका निर्धारण चार पैरामीटर के आधार पर किया गया है, जिनमें पीएच लेवल, डिसॉल्व्ड ऑक्सीजन, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड, और टोटल कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया शामिल हैं.
एसटीपी से प्रदूषण की बढ़ती समस्या
पीसीबी ने अक्टूबर में जारी अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि अक्टूबर में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से गंगा में जाने वाला पानी, सितंबर की तुलना में ज्यादा प्रदूषित था, जिससे गंगा का पानी और भी अधिक प्रदूषित हुआ है. पिछले पांच-छह सालों से लगातार गंगा का पानी ‘B’ श्रेणी में बना हुआ है. हालांकि ‘B’ श्रेणी का पानी पीने के लिए असुरक्षित है, ऐसे में इसे पीना खतरे से खाली नहीं है.