मिडिल ईस्ट में ईरान के लिए मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. सीरिया के ताजा हालात इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. हमास और हिजबुल्लाह के बाद अब असद सरकार का पतन दिखाता है कि ईरान बीते करीब 5 दशक में सबसे कमजोर स्थिति में है.
ईरान ने अपने प्रॉक्सी गुटों को खड़ा करने और उन्हें मजबूत बनाने में कई साल लगाए हैं. वह इजराइल के साथ सीधे तौर पर जंग में शामिल नहीं होना चाहता था इसलिए उसने हमास और हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी गुटों का पुरजोर समर्थन किया. डूबती अर्थव्यवस्था के बावजूद ईरान ने इन प्रॉक्सी गुटों को हथियार और रुपये-पैसे से मदद की लेकिन बीते एक साल से जारी जंग का लेखा-जोखा करें तो इसमें सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को हुआ है तो वह ईरान है.
प्रॉक्सी गुटों की कमर टूटी
मिडिल ईस्ट में ईरान के प्रॉक्सी गुट हमास और हिजबुल्लाह करीब एक साल से इजराइल के खिलाफ जंग लड़ रहे थे. बेशक हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर अचानक एक बड़ा हमला कर इजराइल को बड़ा झटका दिया था लेकिन शायद ईरान और उसके प्रॉक्सी गुटों को ये अंदाज़ा नहीं था कि इजराइल इस बार उनके खतरे को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और 56 इस्लामिक मुल्क तो क्या दुनिया की कोई भी ताकत उसे ऐसा करने से रोक नहीं पाएगी क्योंकि अमेरिका जैसा मजबूत सहयोगी हर स्थिति में इजराइल का साथ दे रहा है.
गाजा से हमास का सफाया!
गाजा में बीते एक साल से जारी इजराइली हमलों में करीब 45 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, दुनिया के कई देश और मानवाधिकार की निगरानी करने वाली संस्थाएं गाजा में इजराइली कार्रवाई को नरसंहार बता रहीं हैं लेकिन अमेरिका ने सभी दावों और सबूतों को खारिज कर दिया है. उसकी रणनीति साफ है कि इजराइल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिस हद तक जाना चाहे अमेरिका इसमें उसकी पूरी मदद करेगा.
यही वजह है कि हमास के दो चीफ इस्माइल हानिया और याह्या सिनवार की हत्या के बावजूद गाजा पर इजराइली हमले जारी हैं. नेतन्याहू पर अपने ही देश के नागरिक आरोप लगा रहे हैं कि अब उनकी रूचि बंधकों को रिहा कराने की नहीं है बल्कि उनकी मंशा गाजा पर कब्ज़ा करने की है. इजराइली सेना ने गाजा में लगभग 70 फीसदी से अधिक इमारतों को जमींदोज़ कर दिया है. हमास की सबसे बड़ी ताकत मानी जाने वाली सुरंगों को नष्ट करने का काम जारी है. मिस्र और गाजा के बीच फिलाडेल्फी कॉरिडोर, नॉर्थ और साउथ गाजा के बीच नेत्जारिम कॉरिडोर बनाकर नेतन्याहू की सेना ने हमास को दोबारा संगठित होने से रोकने की रणनीति को अंजाम दिया है.
लेबनान में हिजबुल्लाह की ताकत खत्म!
दूसरी ओर लेबनान में 23 सितंबर से इजराइल ने ‘फुल फ्लेज्ड वॉर’ की शुरुआत की थी, नवंबर के आखिरी हफ्ते में उसने हिजबुल्लाह के साथ 60 दिनों के सीजफायर पर सहमति बनाई लेकिन करीब 2 महीने चले ‘फुल फ्लेज्ड वॉर’ में इजराइल ने ईरान के सबसे ताकतवर प्रॉक्सी और चहेते हिजबुल्लाह की पूरी टॉप लीडरशिप को खत्म कर दिया है. करीब 3 दशकों तक हिजबुल्लाह की कमान संभालने वाले हसन नसरल्लाह और उनके उत्तराधिकारी हाशिम सफीद्दीन की मौत ने फिलहाल हिजबुल्लाह की कमर तोड़ दी है. इजराइली सेना के ग्राउंड ऑपरेशन में हिजबुल्लाह के कई हथियार डिपो तबाह कर दिए गए. अब हिजबुल्लाह का दोबारा पहले की तरह शक्तिशाली और मजबूत बनना लगभग नामुमकिन है और इसकी सबसे बड़ी वजह है सीरिया में असद शासन का पतन.
सीरिया में असद शासन का पतन
दरअसल सीरिया, ईरान के लिए एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस को मजबूत रखने के लिए सीरिया एक मजबूत और जरूरी गढ़ था. उसके प्रॉक्सी गुटों तक हथियार भी इसी रूट से पहुंचता था. सीरिया की भौतिक स्थिति के कारण यह इस क्षेत्र के तमाम प्लेयर्स के लिए महत्वपूर्ण रहा है. यह क्षेत्र की विरोधी ताकतों के बीच एक बफर जोन की तरह काम करता है, इसके पश्चिम में लेबनान है तो दक्षिण-पश्चिम में इजराइल, दक्षिण में जॉर्डन है तो पूर्व में इराक और उत्तर में तुर्किए.
ईरान, इराक और सीरिया के जरिए लेबनान में हिजबुल्लाह तक हथियार पहुंचाता था. वह हिजबुल्लाह के लड़ाकों को ट्रेनिंग देने और उन तक सीधी पहुंच बनाने के लिए भी इसी रूट का इस्तेमाल करता था. लेकिन अब जबकि सीरिया में असद सरकार का तख्तापलट हो चुका है और तुर्किए समर्थित विद्रोही गुटों का राजधानी दमिश्क पर कब्जा है, लिहाज़ा ईरान के लिए हिजबुल्लाह तक आसानी से हथियार पहुंचाना मुमकिन नहीं होगा.
HTS लीडर जुलानी की ईरान को दो टूक
सीरिया के प्रमुख विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के लीडर मोहम्मद अल-जुलानी ने जीत के बाद अपनी पहली स्पीच में साफ कर दिया है कि अब सीरिया, ईरान के इशारों पर नहीं चलेगा. जुलानी ने कहा है कि ‘ईरान, सीरिया की जमीन से लेबनान तक नहीं पहुंच सकता. अब हमारे देश में ईरान के हथियार नहीं दिखेंगे.’
इस बीच इजराइली सेना और अमेरिका भी सीरिया के कई इलाकों में एयरस्ट्राइक कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इजराइल कब्जे वाले गोलान हाइट्स इलाके के आस-पास बफर जोन बना रहा है. यानी इजराइल ने चारों ओर से खुद को ईरानी खतरे सुरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी है, अब साफ है कि अगर ईरान को इजराइल से लोहा लेना है तो उसे सीधी जंग में उतरना होगा जो कि फिलहाल ईरान के किसी भी स्थिति में मुमकिन नहीं है.