18 दिसंबर 2024 का दिन भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए जितनी राहत लेकर आया, उससे बड़ा दर्द दे गया. एक तरफ टीम इंडिया ने ब्रिसबेन टेस्ट में हार टालते हुए ड्रॉ हासिल किया. इसने टीम के साथ ही फैंस को सुकून तो दिया लेकिन इसके बाद तुरंत ही रविचंद्रन अश्विन ने संन्यास का ऐलान कर पूरे देश को चौंका दिया. भारत के महानतम स्पिनर्स और ऑलराउंडर्स में से एक अश्विन ने सीरीज के बीच में ही ये हैरान करने वाला फैसला लिया. इसके बाद से हर कोई यही जानना चाहता है कि आखिर अश्विन ने ऐसा क्यों किया? शायद इसकी असली वजह उनका खुद से किया वो वादा था, जिसे वो बरकरार रखने में सफल नहीं हो पाए.
अश्विन ने खुद से किया था वादा
अब सच्चाई क्या है, ये तो अश्विन ही बेहतर जानते हैं और शायद यही सच अब उनकी जुबान से भी बाहर आ गया. अश्विन ने 12 साल पहले खुद से एक वादा किया था, जो इस साल टूट गया और शायद यही उनके संन्यास की वजह रही. ये वादा था भारत में फिर कोई सीरीज नहीं हारना. बीसीसीआई की ओर से अश्विन के लिए पोस्ट किए गए एक खास वीडियो में खुद अश्विन ने ये बात कही. इस वीडियो की शुरुआत में ही अश्विन ने बताया कि 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ घर में ही एक मुश्किल सीरीज में टीम इंडिया को हार मिली थी. अश्विन ने कहा, “वो मेरे करियर की शुरुआत थी और मैं खुद से कह रहा था कि अब हम फिर कभी घर में नहीं हारेंगे. मैंने खुद से ये वादा किया था.”
अश्विन की आंखों के सामने टूटा ये वादा
वीडियो में इसके आगे तो अश्विन ने इस बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन पिछले महीने ही जो हुआ, वो सच पूरी दुनिया जानती है. अश्विन खुद से किया वो वादा पूरा नहीं कर पाए. कुछ ही हफ्तों पहले टीम इंडिया को अपनी जमीन पर न्यूजीलैंड के हाथों टेस्ट सीरीज में हार मिली थी. ये सिर्फ हार नहीं थी, बल्कि 0-3 से सूपड़ा साफ होने जैसी फजीहत मिली थी. इंग्लैंड के खिलाफ 2012 की सीरीज के बाद भारत की घर में ये पहली टेस्ट सीरीज हार थी और अश्विन इसका हिस्सा थे, जहां वो एकदम बेअसर साबित हुए थे. शायद इसी हार का दर्द उनके दिल में गहराई तक बैठ गया था और फिर उन्होंने ये फैसला लिया.
टीम इंडिया के लिए 106 टेस्ट मैच खेलकर अपने इंटरनेशनल करियर को विराम देने वाले दिग्गज ऑफ स्पिनर अश्विन को भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में सिर्फ एक मैच में मौका मिला था. एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में अश्विन मैदान पर उतरे थे लेकिन इसके बाद ब्रिसबेन में उनकी जगह रवींद्र जडेजा को चुना गया था, जबकि सीरीज के पहले मैच में वॉशिंगटन सुंदर को तरजीह मिली थी.