महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार में अजित पवार गुट की एनसीपी के बड़े नेता छगन भुजबल को मौका नहीं मिला. मंत्री पद नहीं मिलने की वजह से छगन भुजबल नाराज बताए जा रहे हैं. भुजबल खुलकर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं. रविवार को भुजबल ने ओबीसी नेताओं के साथ एक बैठक भी की. इसके बाद से महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि भुजबल डिप्टी सीएम और पार्टी के नेता अजित पवार पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इन सब के बीच अब अजित पवार ने भी मंत्री पद को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ दी है.
बारामती के कार्यक्रम में अजित पवार ने बिना छगन भुजबल का नाम लेते हुए कहा कि सरकार में नए लोगों को मौका दिया गया तो कुछ लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया. जब हमने कैबिनेट में नाम दिए, तो कुछ गणमान्य व्यक्तियों को प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया. कुछ लोगों ने इस पर नाराजगी जताई. कई बार नए लोगों को भी मौका देना पड़ता है. हमने सोचा कि कुछ पुराने लोगों को केंद्र में कैसे मौका दे सकते हैं, जिन्हें उचित सम्मान दिया जाना चाहिए.
डिप्टी सीएम के बयान पर भुजबल की भी आई प्रतिक्रिया
डिप्टी सीएम के बयान पर छगन भुजबल की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई. भुजबल ने कहा कि राज्य में हमारी ज्यादा जरूरत है, उन्होंने पहले कहा था, तो क्या अब हमारी जरूरत कम हो गई है. भुजबल ने पूछा कि जिसे लोकसभा में भेजा जाना था, लेकिन यहां रोक दिया गया, फिर युवा की परिभाषा क्या है?
छगन भुजबल ने क्या कहा?
छगन भुजबल ने कहा कि युवा को सही ढंग से परिभाषित किया जाना चाहिए? कितने साल जवान? 67-68 साल के युवा? पहले इसे लोकसभा में भेजा गया था. फिर जब मैं तैयार हो गया तो मुझे वहीं रोक दिया गया. दो राज्यसभा चुनाव हुए. मैंने कहा अब मुझे जाने दो. मैंने यहां 40 साल तक काम किया. फिर उन्होंने कहा, आपकी जरूरत प्रदेश में ज्यादा है. तो अब जरूरत कम हो गई? ऐसी ही बात थी तो फिर मुझे चुनाव लड़ने के लिए नहीं कहना चाहिए था.
‘मैं ओबीसी के लिए लड़ने वाला नेता हूं’
ओबीसी नेताओं के साथ बैठक के बाद भुजबल ने मीडिया के सामने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि पार्टी के फैसले से हमें नुकसान हो रहा है. इस फैसले के पीछे कुछ तो है. इस संबंध में मुझे रोल लेने में समय लगेगा. इसलिए मैं इन सभी नेताओं से चर्चा कर रहा हूं. मैं ओबीसी के लिए लड़ने वाला नेता हूं. पिछले 35 साल से मैं ओबीसी के लिए लड़ रहा हूं. इसका मतलब ये नहीं है कि मैं मराठों से नफरत करता हूं.