22 जनवरी को हुई थी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, फिर अयोध्या में 11 जनवरी को क्यों मनाई जा रही वर्षगांठ?
जन-जन के अराध्य भगवान श्रीराम के भव्य और दिव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पिछले साल यानी 22 जनवरी 2024 को हुई थी. इस पवित्र मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश ने एक नया इतिहास रच दिया था. ऐसा हो भी क्यों नहीं, आखिर साढ़े पांच सौ वर्षों के संघर्ष के बाद भगवान राम के मंदिर का सपना पूरा होने जा रहा था. वो भी उसी जमीन पर, जहां भगवान चर्तुभुज रूप में अवतार लिए थे. इस घटना के एक साल पूरे होने पर 11 जनवरी को वर्षगांठ का जश्न मनाया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई तो वर्षगांठ 11 जनवरी को क्यों मनाई जा रही है?
आपकी नजर में यह सवाल जायज हो सकता है, लेकिन पूर्ण रूप से नहीं. दरअसल भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी यानी कूर्म द्वादशी की तिथि को हुई थी. न कि 22 जनवरी को. उस दिन 22 जनवरी की तारीख का पड़ना तो महज इत्तफाक था. आप चकरा गए ना? आइए, ठीक से समझाते हैं. दरअसल भगवान राम सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं और सनातन धर्म में काल गणना अर्थात दिन तरीखों का निर्धारण हिन्दू कैलेंडर से होता है. इसी कैलेंडर के आधार पर पिछले साल भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पौष शुक्ल द्वादशी की तिथि निर्धारित हुई थी.
पिछले साल पौष शुक्ल द्वादशी को थी 22 तारीख
संयोग से वह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 22 जनवरी को पड़ी. अब राम मंदिर प्रबंधन ने प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ मनाने का फैसला किया तो इसके लिए मुहुर्त पौष शुक्ल द्वादशी का ही निकाला गया. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक इसी तारीख को मंदिर के एक साल पूरे भी हो रहे हैं. चूंकि इस बार पौष शुक्ल द्वादशी की तारीख 11 जनवरी को पड़ रही है, इसलिए कहा जा रहा है कि 11 जनवरी को वर्षगांठ मनाई जा रही है. बता दें कि पिछले साल राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर बड़ा जश्न मना था. इस जश्न में देश विदेश से आए राम भक्त शामिल हुए थे. कई देशों के राजनयिक भी इस कार्यक्रम में पहुंचे थे.
आरएसएस प्रमुख संग पीएम मोदी बने थे मुख्य यजमान
खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर मुख्य यजमान बने थे. उनके साथ आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भी प्राण प्रतिष्ठा के लिए होने वाली पूजा में यजमान बने थे. इस पूजा की पात्रता हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान किया था. इसमें उन्होंने अन्न का त्याग तो किया ही, विभिन्न तीर्थों में लगातार भ्रमण करते रहे थे.श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय राम मंदिर की वर्षगांठ मनाने के लिए 25 नवंबर को ही ऐलान कर दिया था. उन्होंने कहा था कि प्राण प्रतिष्ठा हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हुआ था. इसलिए वर्षगांठ भी हिन्दू कैलेंडर के ही मुताबिक होगा.
पांच स्थानों पर होंगे आयोजन
उन्होंने बताया था कि वर्षगांठ का जश्न 3 दिनों तक चलेगा. इस दौरान पांच स्थानों को आयोजन स्थल बनाया गया है. उन्होंने बताया कि यज्ञ मंडप में अग्नि देवता को 1975 मंत्रों से आहुति दी जाएगी. इस दौरान छह लाख बार श्रीराम मंत्र का जाप होगा. इसी प्रकार प्रार्थना मंडप में भगवान की राग सेवा होगी. वहीं मंदिर प्रांगण में लगातार बधाई गाई और बजाई जाएगी. इसी प्रकार यात्री सुविधा केंद्र पर संगीतमय मानस पाठ का आयोजन होगा तो अंगद टीला पर रामकथा, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गए हैं.