यूनियन कार्बाइड के कचरे में 60% से ज्यादा मिट्टी, भ्रम की खबरों पर न करें यकीन, CM मोहन यादव की जनता से अपील
यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने जनता से अपील की है. साथ ही कई बड़े प्लाइंट्स को भी उजागर किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार जनभावनाओं का आदर करती है. हाईकोर्ट के आदेश पर यूनियम कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर भेजा गया था. मगर जनभावनाओं का आदर करते हुए वहां जो हालात पैदा हुए उससे कोर्ट को अवगत कराऊंगा.
सीएम मोहन यादव ने कहा कि जनता से मेरी अपील है कि भ्रम की खबरों पर यकीन न करें. उन्होंने कहा कि भोपाल में करीब 358 टन यूनियन कार्बाइड का कचरा निकला है. इसमें 60 फीसदी से ज्यादा केवल स्थानीय मिट्टी है और करीब 40 फीसदी नेपथॉल, रिएक्टररेसीड्यूस और समी प्रोसेस पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है. इस जहरीलापन 25 साल में लगभग समाप्त हो जाता है और भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल हो चुके हैं इसलिए बचे हुए कचरे में कोई हानिकारण तत्व नहीं है.
हमारे लिए जनता का हित सर्वोपरि- मोहन यादव
मुख्यमंत्री ने कहा कि कचरे का निष्पादन कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं है और इससे निकलने वाले समस्त गैसों का मापन किया जाएगा. किसी भी प्रकार का कोई डेविएशन होने की स्थिति में जनता का हित सर्वोपरि होगा. कचरे का निष्पादन पीथमपुर में ही क्यों? इसके जवाब में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के SLP 9874/2012 के आदेश 04/03/2013 और 17/04/2014 में ट्रायल रन के निर्देश दिए गए और सफल ट्रायल किया गया. मध्य प्रदेश में Hazardous Waste Disposal Facility सिर्फ पीथमपुर में ही उपलब्ध है इसलिए वीरान जगह पर भी कचरे का निष्पादन नहीं किया जा सकता.
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलेगा
इससे एक दिन पहले सीएम मोहन यादव ने कहा कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलेगा. जनता का कोई भी अहित न हो इसके लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. हम कोर्ट के आदेश के बाद ही इस पर कुछ फैसला लेंगे. फिलहाल वहां कचरा नहीं जलेगा. तब तक जहरीले कचरे के ट्रक खड़े रहेंगे. सीएम ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर भेजा गया था.
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के करीब 337 टन कचरे को बुधरात रात को पीथमपुर ट्रांसफर किया गया था. कचरे को 12 सीलबंद कंटेनर में भरकर भोपाल से 250 किमी दूर धार जिले के पीथमपुर भेजा गया था. वहां के लोगों ने इसका विरोध किया.