पुलिस की गुंडागर्दी का एक किस्सा, जो आम आदमी को सोचने पर मजबूर कर सकता है के पुलिस सहायता के लिए है या प्रताड़िता के लिए?
मामला मार्च 19, 2018, दोपहर 12:00 का है, जब त्रिलोक सिंह बोरासी, उपनिरीक्षक(अब नालछा थाना में पदस्थ) और कृष कुमार राय, प्रधान आरक्षक(नालछा थाना) फरियादी शैलेन्द्र ग्वाला, पिता गौरीशंकर, 17 ग्वालमोहल्ला, नालछा निवासी, जो की एक पान सदन चालक है, के पास पहुंचे और शैलेन्द्र को सूचित किया के उससे टीआई मैडम ने थाने पर बुलाया है, जिस पर पीड़ित ने कहा के अभी दुकान संभालने के लिए कोई नहीं है, जैसी ही मेरा भाई आता है में आकर मिल लूंगा, क्युकी अभी दुकान छोड़ कर नहीं आ सकता, ऐसा कह कर निवेदन किया, जिसके पश्चात दोनो अफसर अक्क्रोशित हो उठे और कहा के “तूने हमें क्या समझ रखा है, तेरे लिए क्या हम बार बार दौड़ते फिरेंगे” और उन्होंने उसकी कॉलर पकड़ कर उसे दुकान से खींच के बाहर निकाला और बहुत ही गलत भाषा एवम अपशब्दों से प्रताड़ित किया और उसे दुकान से घसीट के नीचे उतारा जिसके साक्षी आस पास के खड़े लोग भी थे और वहां भीड़ जमा हो गई जिसके बाद वे दोनों अधिकारी मारते पीटते बस स्टैंड पर अपनी बोलेरो गाड़ी में उसे थाने पर लेकर आए और थाने पहुंचने पर भी दोनो अफसरों ने पीड़ित को हाथ, पैर एवम डंडे से पीटा। गौरतलब है के जब उसे शर्मसार कर मारते-पीटते ले जाया जा रहा था तब इन्होंने इसके दुकान के गल्ले में रखे हुए 25000 रुपए ले लिए और उसे पहनी हुई 35000 रुपए की चेन भी चीन ली और ये सब करने के बाद उसकी दुकान बंद करवा कर ये लोग चले गए। इनके परिवार वालो ने इसके बाद दोनों का मेडिकल करवाया और 19 मार्च से 21 मार्च तक भर्ती रखा और इस बात की खबर दैनिक समाचार पत्र पत्रिका में मार्च 20, 2018 को प्रकाशित हुई एवम विभिन्न टीवी चैनल जैसे साधना न्यूज़, धार न्यूज़, टीवी 24, समाचार एक्सप्रेस, इंडिया 24 एवम भारत लाइव में भी इस घटनाक्रम का प्रसारण किया गया और इसकी सीडी भी दी गई और पुलिस अधिकारी होने के कारण इसलिए इनके वरिष्ठ अधिकारियों को भी 31 मार्च को पूरी घटना बताई और बार बार सूचना देने के बावजूद उनके द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई और इससे परेशान होकर पीड़ित ने दंडाधिकारी महोदय प्रथम श्रेणी धार के समक्ष इनके अंतर्गत इस थाने का ज्यूरिडिक्शन था, धारा 294, 323, 506, 166, 306, 340, 427, 211, 392, 452 और 500 के तहत कोर्ट में प्रस्तुत की गई और इसमें फरियादी के अलावा आस पास के कई गवाहों को कोर्ट में परीक्षित करवाया गया और उनके बयानों के आधार पर कोर्ट ने 12 जनवरी, 2022 को इस परिवाद पर संज्ञान लेते हुए इन दोनो के खिलाफ प्राइवेट परिवाद प्रस्तुत को दुर्गा सोलंकी, न्याय दंडाधिकारी महोदय प्रथम श्रेणी ज़िला धार द्वारा रजिस्टर किया गया है। इस आधार पर दोनो पर आगामी कार्यवाही चल रही है और चूंकि हमने परिवाद जिसमे धारा 323, 294, 506, 166, 306, 340, 427, 211, 392, 492 और 500 के तहत प्रस्तुत की थी परंतु कोर्ट ने हमारे द्वारा दिए गए बयान और पूरा घटनाक्रम बताने के बावजूद भी, कोर्ट ने धारा 306, 427, 452, 506 और 392 के तहत हमारी परिवाद पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न करते हुए इनके खिलाफ धारा 166, 294, 323, 334, 342, 211 और 500 के तहत प्रकरण पंजियत किया गया है और इस आदेश से व्यथित होकर वकीलों द्वारा पुनः इस आदेश को चुनौती दी जाएगी और जो बची हुई धाराएं हैं उसके संबंध में एक निगरानी याचिका संभवत अगले सप्ताह तक प्रस्तुत की जाएगी और इस पूरे मामले में पैरवी एमएस चौहान, एडवोकेट आशुतोष शुक्ला, और भारत सिंह ठाकुर के द्वारा की जा रही है।