इंदौर में शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 1 करोड़ 60 लाख की ठगी पकड़ाई, ट्रेनिंग के नाम पर युवाओं से कराते थे कॉल
इंदौर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसके जरिए करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले अरोपी कुलदीप और दानिश ने पुलिस पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने जुलाई महीने में कंपनी शुरू की थी। ठगी के रुपयों से 25 कर्मचारियों को गोवा घुमाने ले गए थे। आरोपियों के 5 बैंक खातों की जानकारी भी मिली है। इन खातों में लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। इसके अलावा 300 फर्जी सिम भी बरामद की गई है।
विजय नगर थाना प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि ग्रेविटी मॉल में दबिश देकर एल्गो ट्रेडिंग कंपनी के डायरेक्टर सहित दो लोगों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक युवक-युवतियों को नौकरी देने के नाम पर ट्रेनिंग के लिए बुलाते थे। ट्रेनिंग के बाद वे प्रदेश के अलग-अलग शहरों में फोन कॉलिंग करवाते और फिर शेयर ट्रेडिंग के नाम ठगी करते थे।
आरोपियों ने खुद का फर्जी ट्रेडिंग ऐप बनवाया था
पुलिस ने अब तक 1 करोड़ 60 लाख रुपए की ठगी पकड़ी है। आरोपी कुलदीप पहले किसी अन्य कंपनी में काम करता था और वहीं से उसे ठगी करने का आइडिया मिला था। पुलिस द्वारा लगातार फर्जी एडवाइजरी कंपनियों पर छापामार कार्रवाई की जा रही थी। इस कारण आरोपी ने खुद का एक फर्जी एप बनवाया। वो लोगों को अपने हिसाब से शेयर के भाव बताकर पैसा लगवा देता था।
कर्मचारियों को ले गया गोवा
आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह ठगी के रुपयों से कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को फ्लाइट से गोवा घुमाने ले गया। करीब 25 कर्मचारियों को कुलदीप और दानिश ने 4 दिन तक गोवा घुमाया।
5 बैंक खाते मिले अन्य की तलाश जारी
आरोपी के वर्तमान में 5 बैंक खातों की जानकारी पुलिस के हाथ लगी है। इसमें से इंडसइंड बैंक, बैंक ऑफ कर्नाटक,IDFC सहित अन्य बैंकों में रोजाना लाखों रुपए का लेनदेन सामने आया है। 2 बैंक खातों में 3 लाख रुपए जमा मिले है। वहीं बैंक खातों में कुल 1 करोड़ 60 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन पुलिस को मिला है।
300 फर्जी सिम भी बरामद
आरोपी ने कंपनी में इस्तेमाल होने वाले सिम इंदौर सहित अन्य शहरों से खरीदना बताया था। आरोपियों के पास से 300 सिम जब्त हुई है। पुलिस सिम के लिए लगाए गए नाम-पते के दस्तावेजों की जानकारी जुटाने में लगी है।
डीमेट का डेटा देने वाले की तलाश
आरोपी द्वारा डीमेट का डेटा शाजापुर के रहने वाले किसी युवक से खरीदना बताया गया है। पुलिस युवक की तलाश में है। आरोपी ने यह भी बताया कि शाजापुर का रहने वाला युवक कई फर्जी ट्रेडिंग कम्पनियों को इसी तरह का डेटा प्रोवाइड करवाता है।
ऐसी ठगी से कैसे बचा जा सकता है?
किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके रिव्यू जरूर देखें। उसके ओरिजिनेटर देख लें। कई लोग उसमें कमेंट्स लिख देते हैं कि ये फर्जी है। ऐसी स्थिति में ऐप की डाउनलोड संख्या देखना चाहिए। नामी कंपनियों के ऐप करोड़ों लोग डाउनलोड करते हैं। फर्जी ऐप कम लोग डाउनलोड करते हैं।
ऐसे निवेश में क्या सावधानी रखें?
कमर्शियल ट्रांजैक्शन से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि जो ऐप डाउनलोड किया है, वह सही है। अकाउंट नंबर भी चेक कर सकते हैं कि कंपनी हेडक्वार्टर कहां का बता रही है। अकाउंट किस शहर का दिया है। इनके डाटा को प्रतिष्ठित ऐप के डाटा से क्रास चेक भी किया जा सकता है।