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कर्नाटक हिजाब विवाद को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बताया अनावश्यक

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बेंगलुरु । कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि अनावश्यक विवादों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए और छात्र स्कूल की यूनिफॉर्म द्वारा निर्देशित होने चाहिए। नायडू ने बेंगलुरु में एक निजी स्कूल में ‘इंडोर स्पोर्ट्स एरीना’ और ‘लैटरली’ का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘कर्नाटक में जारी विवाद की तरह के अनावश्यक विवादों को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। एक स्कूल में, आप सभी स्कूल की यूनिफॉर्म द्वारा निर्देशित होते हैं, चाहे वह कोई भी यूनिफॉर्म हो। विविध भारतीय संस्कृति की सुंदरता को महसूस करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘विविधता में एकता, भारत की विशेषता है। अलग भाषा, अलग वेष – फिर भी अपना एक देश।’ उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को यह याद रखना चाहिए कि वे पहले भारतीय हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘चाहे कोई भी जाति, पंथ, लिंग, धर्म और क्षेत्र हो, इसके बावजूद हम सभी एक हैं। हम पहले भारतीय हैं। इसे सभी को याद रखना चाहिए। कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।’ नायडू ने यह भी कहा कि लोगों को उन भाषाओं पर गर्व महसूस करना चाहिए जो वे बोलते हैं और उसे प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने स्कूलों में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर जोर देते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस पहलू पर जोर देती है। उन्होंने सभी राज्य सरकारों और शैक्षणिक संस्थानों से खेल, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को प्राथमिकता देने और बच्चों में आध्यात्मिक सोच विकसित करने का भी आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने उपस्थित लोगों से कहा, आध्यात्मिकता का मतलब धर्म नहीं है। धर्म आपकी व्यक्तिगत पसंद है लेकिन हमारी संस्कृति, हमारी विरासत, हमारा धर्म (कर्तव्य) का हम सभी को अपने जीवन में पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक समय में, भारत को एक विश्व गुरु के रूप में जाना जाता था। नायडू ने कहा कि लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन ने हमने अपने गौरवशाली अतीत को भुला दिया। उन्होंने कहा, भारत आज आगे बढ़ रहा है और यह अपनी जड़ों की ओर वापस जाने का समय है। नायडू ने सभा से कहा कि भारत में अनुशासन, गतिशीलता, शिक्षा, समर्पण, भक्ति समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा एक मिशन है, कमीशन के लिए नहीं। इसमें कोई चूक नहीं होनी चाहिए। हमें जुनून के साथ राष्ट्र के लिए काम करना चाहिए। इसी की आवश्यकता है।

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