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होलाष्टक विशेष : होलीका दहन से 8 दिन पहले शुरू हो जाता है होलाष्टक, इन दिनों में किए गए दान से जीवन के कष्टों से मिलती है मुक्ति …

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रायपुर. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है. होलाष्टक होली दहन से पहले के 8 दिनों को कहा जाता है. इस बार 10 मार्च 2022 से होलाष्टक यानि 9 मार्च की मध्यरात्रि 02 बजकर 58 बजे से लग जाएगी, जो कि 17 मार्च 2022 तक होलाष्टक रहेगा. इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा और इसके बाद अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाएगी.

होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं. होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए, जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है. इस दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है.

होलाष्टक के प्रारंभ होने वाले दिन एक स्थान पर दो डंडे स्थापित किए जाते हैं. जिनमें से एक डंडा होलिका का प्रतीक तो दूसरा डंडा प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है. इसके बाद इन डंडों को गंगाजल से शुद्ध करके के बाद इन डंडों के इर्द-गिर्द गोबर के उपले, लकड़ियां, घास और जलाने वाली अन्य चीजें इकट्ठा की जाती है और इन्हें धीरे-धीरे बड़ा किया जाता है. अंत में होलिका दहन वाले दिन इसे जला दिया जाता है. होलाष्टक के मध्य दिनों में 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को नहीं किया जाता है. यहां तक की अंतिम संस्कार करने से पूर्व भी शांति कार्य किये जाते हैं. इन दिनों में 16 संस्कारों पर रोक होने का कारण इस अवधि को शुभ नहीं माना जाता है.

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दान करना है श्रेष्ठ-

होलाष्टकों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है. इन दिनों में किए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है. होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.

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