
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव छह साल के बाद आज यानी 27 अक्टूबर को चुनावी सभा के मंच पर दिखे। इन छह वर्षों में लालू की सेहत और दमखम पहले की तरह नहीं रहा, लेकिन उनकी शैली और उत्साह बिल्कुल पहले की तरह ही दिखा। चारा घोटाले के मामले में साढ़े तीन साल तक जेल की सजा काटने के बाद जमानत पर बाहर निकले लालू ने अपनी पहली चुनावी सभा मुंगेर जिले के तारापुर में की। इस दौरान उन्होंने हाथ हिलाकर अपने समर्थकों का अभिवादन किया और उनका उत्साह बढ़ाया। हम आपको लालू की सभा में इन छह साल के बीच हुए बदलाव और कई रोचक तथ्यों की जानकारी देंगे।
तब और अब में काफी बदल हैं चीजें
आखिरी बार 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू ने चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। तब उनकी पार्टी राजद का जदयू के साथ गठबंधन था। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ और अकेले भी चुनावी सभाएं करते थे। तब राजद की कमान पूरी तरह लालू यादव के हाथ में थी, लेकिन अब पार्टी का मुख्य चेहरा धीरे-धीरे उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव बनते जा रहे हैं। लालू ने अपने दोनों बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप को 2015 के विधानसभा चुनाव में ही राजनीति के मंच पर लांच किया था। तब पिता के पीछे-पीछे चलने वाले तेजस्वी यादव अब राज्य की राजनीति में काफी आगे बढ़ गए हैं। लालू ने अपनी राजनीतिक विरासत काफी हद तक उन्हें सौंप दी है। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में लालू-राबड़ी की बड़ी बेटी मीसा भारती की राजनीतिक लांचिंग हुई थी

तब लालू ने की 250 से अधिक चुनावी सभाएं
2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव ने बिहार के अलग-अलग हिस्सों में लगभग 250 चुनावी सभाएं की थीं। उनका निशाना भाजपा थी। यह सब तब हुआ था जब महज एक साल पहले यानी 2014 में उनका हार्ट का बड़ा आपरेशन हुआ था। लालू तब अपने दोनों बेटों को साथ लेकर चुनावी सभाओं में जाते थे। लालू ने कहा था कि वे बीजेपी को छठी का दूध याद दिला देंगे। इस चुनाव में राजद-जदयू गठबंधन की जीत हुई थी।