एमसीसी ने नीट सुपर स्पेशियलिटी काउंसलिंग की सीटों को लेकर च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया को रोक दिया है क्योंकि सीट मैट्रिक्स में 250 से अधिक सीटें नहीं दिख रही हैं. इसमें आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल और सर गंगा राम अस्पताल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की सीटें शामिल हैं.
नई दिल्ली: मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) ने नीट सुपर स्पेशियलिटी काउंसलिंग के लिए सीटों को लेकर च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया को रोक दिया है. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कई मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों की सीटों को नीट सुपर स्पेशियलिटी की सीट मैट्रिक्स में नहीं जोड़ा गया था. नीट सुपर स्पेशियलिटी की सीटों के लिए चॉइस फिलिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है ताकि जिन मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों ने अपनी सीटें सीट मैट्रिक्स में नहीं जोड़ी है वे जल्द से जल्द उन्हें जोड़ सकें. एमसीसी ने एक नोटिस के जरिए कहा है कि जैसे ही इन कॉलेजों और संस्थानों की तरफ से नई सीटों को जोड़ने का काम पूरा हो जाएगा, उसके तुरंत बाद ही च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी जाएगी.
हालांकि, कल शाम तक एमसीसी ने काउंसलिंग के पहले राउंड के लिए सीटों के मैट्रिक्स में अखिल भारतीय कोटे में 97 सीटें सहित 237 और नई सीटें जोड़ दीं. बता दें कि पूरे देश में सिर्फ 6,000 सुपर स्पेशियलिटी सीटें उपलब्ध हैं.
च्वाइस फिलिंग की प्रक्रिया को रोकने का कदम फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक को इस संदर्भ में पत्र लिखे जाने के एक दिन बाद उठाया गया. जिस पत्र में यह कहा गया था कि नीट सुपर स्पेशियलिटी 2021 की काउंसलिंग के पहले राउंड के लिए सीट मैट्रिक्स में 250 से अधिक सीटें नहीं दिखाई दे रही हैं, जिसमें आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल और सर गंगा राम अस्पताल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की सीटें शामिल हैं.
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा कि इन संस्थानों की सीटों को हमेशा टॉप रैंकर्स की ओर से चुना जाता है. ऐसे में राउंड 2 में इन सीटों को जोड़ना पूरी तरह से राउंड 1 को मॉक राउंड में बदल देगा क्योंकि टॉप रैंक वाले छात्र राउंड 2 में अपग्रेड करने के लिए जरूर आवेदन करेंगे.
एसोसिएशन ने रविवार को अपने पत्र में यह भी लिखा कि हर एक स्वास्थ्य संस्थान की तरफ से शुल्क संरचना, स्टाइपेंड और बांड का विवरण अब तक प्रकाशित नहीं किया गया है. इस कारण छात्रों के लिए इनका चयन करना काफी मुश्किल हो गया है.