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राज्यसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 ध्वनि मत से पारित, तीनों MCD के विलय का रास्ता साफ

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नई दिल्ली   राज्यसभा ने विपक्ष के विरोध के बावजूद दिल्‍ली के तीनों निगमों के एकीकरण को बिल को ध्वनि मत से मंजूरी दे दी है। इस बिल को लोकसभा से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। इसके साथ ही दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एकीकृत करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्‍ली में सत्‍तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) पर तीनों नगर निगमों से सौतेले व्‍यवहार का आरोप लगाया। अमित शाह ने कहा कि इस सौतेले व्‍यवहार के कारण पिछले 10 वर्षों में 200 से अधिक हड़तालें हुई हैं और दिल्‍ली के तीनों निगम ठीक से काम नहीं कर रहे। उन्‍होंने कहा कि ‘आप’ के सौतेले व्‍यवहार के कारण हड़तालों की संख्‍या बढ़ी है। बिल पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। इसके बाद तीनों एमसीडी का विलय करके एक ही नगर निगम बनाया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली के पार्षदों को कम करके 272 से 250 तक सीमित कर दिया जाएगा। इस कॉर्पोरेशन को दिल्ली नगर निगम के नाम से जाना जाएगा। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ही फैसला करेगी कि नगर निगम में कितने पार्षद होंगे और कितनी सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके अलावा केंद्र सरकार का सैलरी व अन्य सुविधाओं पर भी नियंत्रण होगा। नए विधेयक में यह भी कहा गया है कि एमसीडी कमिश्नर सीधे केंद्र सरकार को जवाबदेह होगा। जाहिर है कि एमसीडी के विलय के बाद इसमें दिल्ली सरकार की भूमिका बहुत सीमित रह जाएगी।

आपको बता दें कि वर्ष 2011 में पूर्ववर्ती दिल्ली नगर निगम को तीन भागों – दक्षिण दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में विभाजित किया गया था। निगम का यह विभाजन, राजस्‍व सृजन क्षमता के मामले में असमान था, इसके चलते तीनों निगमों के संसाधन और उनके दायित्‍वों के बीच बड़ा अंतर था। इस वजह से तीनों निगम को वित्‍तीय सहित तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। केंद्र सरकार का मानना है कि एकीकरण से तीनों नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय एवं खर्च की देनदारियां कम होंगी तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निगम की सेवाएं बेहतर होंगी।

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